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अयोध्या

आज भी इनके मां-बाप रहते हैं पेड़ों पर, अयोध्या में दिखाया राष्ट्रीय तीरंदाजी में कमाल

आज भी मां-बाप रहते हैं पेड़ों पर, अयोध्या में दिखाया राष्ट्रीय तीरंदाजी में कमाल। अयोध्या में चल रहा है राष्ट्रीय तीरंदाजी खेल प्रतियोगिता जिसमें भाग ले रहे देशभर के खिलाड़ी।

अयोध्याNov 28, 2023 / 11:00 am

Markandey Pandey

यह जनजाति 15 साल पहले ही आधुनिक सभ्यता के संपर्क में आई है।

Ayodhya News: महज पंद्रह साल पहले दुनिया देखी। आधुनिकता क्या है इनको मालूम ही नहीं था। मां-बाप और बुजुर्ग आज भी पेड़ों पर नंगे रहते हैं। ऐसे ही अंडमान निकोबार के खिलाड़ी इस समय अयोध्या में चल रहे राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में अपने खेल का लोहा मनवा रहे हैं। अंडमान निकोबार की आधुनिक सभ्यता से अछूती जरवा जनजाति के दो धनुर्धर बुलबा और डेच भी राष्ट्रीय सीनियर तीरंदाजी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए यहां पहुंचे हैं। उनके साथ वेंकेटेश राव कोच भी हैं। दोनों धनुर्धर बताते हैं कि परंपरागत धनुष और आधुनिक धनुष दोनों में जमीन आसमान का अंतर है।‌
हम बहुत ताकत लगाकर और अनुमान से ही तीर चलाते रहे हैं। हम लोग तो भागते हुए लक्ष्य भेदने का ही अभ्यास रखते हैं। जबकि आधुनिक धनुष लक्ष्य को देखने और कम प्रयास से भेदने की सुविधा होती है। आधुनिक धनुष के साथ तालमेल बैठाने में समय लगेगा। बताते चलें यह जनजाति 15 साल पहले ही आधुनिक सभ्यता के संपर्क में आई है। तीरंदाजी इनकी परंपरा है। इनके बुजुर्ग अब भी पेड़ों पर रहते हैं और वस्त्र नहीं धारण करते।

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