scriptअयोध्या में पुलिस अधिकारी ने कहा बढ़िया है सरयू में डूब गये, मोक्ष लेने ही तो आए थे कारसेवा में | officer in Ayodhya said that it is good that he drowned in Saryu | Patrika News
अयोध्या

अयोध्या में पुलिस अधिकारी ने कहा बढ़िया है सरयू में डूब गये, मोक्ष लेने ही तो आए थे कारसेवा में

देवोत्थान एकादशी 30 अक्टूबर 1990 के बाद तय हुआ कि कार्तिक पूर्णिमा 2 नवंबर 1990 को फिर से कारसेवा होगी। 30 अक्टूबर को अयोध्या में गोली चली थी और अनेक कारसेवक मारे गए थे। अशोक सिंहल घायल होकर अस्पताल पहुंचे, जहां से वह पुलिस को चकमा देकर निकल चुके थे। आइए जानते हैं आगे क्या हुआ।

अयोध्याNov 04, 2023 / 08:13 am

Markandey Pandey

ep-46.jpg

30 अक्टूबर को कारसेवा के बाद उन साधुओं के चारों तरफ लोहे के कंटीले तार लगा दिए गए थे। एक नवंबर की रात को ही पूरा इलाका खाली कराया जा चुका था।

Ram Mandir Katha: एक नवंबर 1990 की दोपहर तक उहापोह था कि कल कार्तिक पूर्णिमा को कारसेवा होगी या नहीं। कुछ कारसेवक सीताराम धर्मशाला से स्वामी वामदेव महाराज से मिलने आए। वामदेव ने कहा कि यदि कल कारसेवा होगी तो इसकी सूचना आज शाम चार बजे तक दे दी जाएगी।
एक नवंबर को ही अशोक सिंहल, स्वामी वामदेव, महंत नृत्यगोपाल दास, परमहंस रामचंद्र दास, स्वामी विवेकानंद आदि ने तय किया कि कार्तिक पूर्णिमा को भी कारसेवा जारी रखी जाएगी। यह सूचना उत्तर प्रदेश सीआईडी विभाग से छुपी नहीं थी। खुफिया तंत्र ने फौरन सूचना प्रदेश सरकार को दे दी। शाम तक अर्धसैनिक बलों की कंपनियों के पहुंचने का तांता लग गया। सुरक्षा प्रबंध चौकस कर दिए गए। यूपी पुलिस के महानिदेशक ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया। सेना ने दिन में दो-दो बार फ्लैग मार्च शुरू कर दिया।
एक नवंबर की रात तक सुरक्षा बलों के करीब 50 ट्रक अयोध्या में प्रवेश कर चुके थे। फैजाबाद के अमानीगंज के आगे छह बैरियर और सैकड़ों ड्रम लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया। इन बैरियरों के दोनों तरफ सीमा सुरक्षा बल के जवान मानव दीवार बनाकर खड़े हो गए।
30 अक्टूबर को क्लोज सर्किट कैमरे, सीसीटीवी आदि जो नष्ट हो गए थे, उनकी जगह दूसरे कैमरे लगा दिए गए। रास्ते भर अधिकारियों की गाड़ियां सायरन बजाते दौड़ रही थीं। जन्मभूमि की तरफ जाने वाले रास्तों के हर घर के सामने पुलिस खड़ी हो गई। पता नहीं किस घर में कारसेवक हों। पत्रकारों का प्रवेश रोक दिया गया। श्रृंगार हाट से सरयू नदी की तरफ जाने वाले रास्ते में प्रत्येक दुकान के आगे दो-दो, तीन जवान तैनात हो गए।
sadhu_sant.jpg
IMAGE CREDIT: सुबह के सात बजे पुलिस ने घोषणा किया कि सात से दस बजे तक कर्फ्यू में ढील दिया जा रहा है।
कर्फ्यू में ढील का सरकारी नाटक

अभूतपूर्व पुलिसिया किलेबंदी, घेरेबंदी के बीच 2 नवंबर 1990 कार्तिक पूर्णिमा का सूरज निकला। कार्तिक स्नान के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं घरों से निकल पड़ीं। लेकिन राम जन्मभूमि की तरफ जाने की इजाजत किसी को नहीं थी। अनेक इलाके जहां घरों से निकलने से लोगों को प्रतिबंधित किया गया था। वहां से भी लोग निकले।
पुलिस अयोध्या की गलियों, रास्तों से अनजान थी। सुबह के सात बजे पुलिस ने घोषणा किया कि सात से दस बजे तक कर्फ्यू में ढील दिया जा रहा है। जबकि इस ढील को लेकर विहिप पदाधिकारी आशुतोष श्रीवास्तव, अनुराग पांडे कहते हैं कि ढील का नाटक किया गया और श्रीराम जन्म भूमि के तरफ किसी को भी घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। मणिराम दास छावनी, दिगंबर अखाड़ा के इलाके में कर्फ्यू असरहीन था। हनुमान गढ़ी के इलाके में विशेष सख्ती थी क्योंकि कारसेवक इन्हीं रास्तों से जाने वाले थे।

यह भी पढ़ें

जब अयोध्या में जवानों ने गोली चलाने से किया इंकार, बाबरी गुंबद पर बंदरों ने पकड़ा भगवा ध्वज

साधुओं की जटाएं काट डाली, रामायण फाड़ डाला

2 नवंबर 1990 की सुबह आठ बज रहे होंगे। सरयू पुल के पास कटरामांझा क्षेत्र में हजारों कारसेवक जमे हुए थे। अनेक साधु धूनी रमाकर बैठे थे और अखंड रामचरित मानस पाठ चल रहा था। साधुओं ने आमरण अनशन कर दिया था। 30 अक्टूबर को कारसेवा के बाद उन साधुओं के चारों तरफ लोहे के कंटीले तार लगा दिए गए थे। एक नवंबर की रात को ही पूरा इलाका खाली कराया जा चुका था।
कारसेवा में वाराणसी से भागलेने गए और अग्रिम मोर्चे पर डटे सुदर्शन जी महाराज कहते हैं कि आमरण अनशन पर बैठै साधुओं को मारपीट कर भगा दिया गया। या जबरन गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। अनेक साधुओं की मारपीटाई हुई, उनके बाल काट दिए गए। धुनी नष्ट कर दिया गया। रामायण, रामचरित मानस फाड़ दिया गया। भागते हुए कारसेवकों पर घोड़े दौड़ाए गए। अयोध्या से सटे गोंडा जिले के पुलिस अधीक्षक ने निर्ममता की सारी हदें पार कर दी थी। भागते हुए अनेक कारसेवक सरयू में डूब कर मर गए जो तैरना नहीं जानते थे।
inside_view_of_babari.jpg
IMAGE CREDIT: विवादित ढांचे का भीतरी दृश्य जब बहुत मुश्किल से प्रवेश मिल पाता था। तब यह फोटो भी एक पत्रकार ने चुपके से ली थी।
यह भी पढ़ें

पहली बार कारसेवा शब्द का जिक्र आया, वीपी सिंह को मिला चार और महीना



अच्छा है मोक्ष मिल गया…

अलवर से आया एक सिपाही राजस्थान पत्रिका संवाददाता गोपाल शर्मा से कह रहा था कि मैंने बहुत हाथ जोड़ा कि चले जाओ। ये लोग रात को बहुत मारेंगे। नहीं माने और गोंडा के पुलिस अधीक्षक ने निर्ममता का नंगा नाच किया।
सरयू पुल के दूसरी तरफ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी कुर्सी डाले अक्टूबर की गुनगुनी धूप ले रहे थे। हिमाचल प्रदेश से आए एक कारसेवक जो पेशे से डाक्टर थे। वह गिडगिड़ाते हुए पुलिस अधिकारी के पास पहुंचे और सरयू में अपने साथी कारसेवक के डूब जाने की बात बताए। डाक्टर कारसेवक अपने साथी के डूब जाने से रोने लगे थे। पुलिस के आगे गिड़गिड़ा रहे थे। लेकिन उक्त अधिकारी क्रूर हंसी हंसते हुए बोले- अच्छा तो हुआ। बढ़िया है, उसको मोक्ष मिल गया। डूबने ही तो आए थे।
करीब 9 बजकर 30 मिनट पर पुलिस की गाड़ियों से सूचना बोली जाने लगी कि कर्फ्यू खत्म हो गया है। अपने-अपने घरों में चले जांए। कारसेवकों के लौटने के लिए बसें तैयार खड़ी हैं। लेकिन इन सूचनाओं से जैसे कारसेवकों को कोई लेना-देना ही नहीं था। जारी रखेंगे।
आगे की राम मंदिर कथा में पढ़िए

कल की राममंदिर कथा में हम आपको बताएंगे दिगंबर अखाड़े पर किस प्रकार खून की होली खेली गई। कैसे हुई अयोध्या रक्त रंजीत, कारसेवकों को निशाना लगा-लगा कर गोली मारी गई।
https://youtu.be/UsjL6j7hCyY

Hindi News/ Ayodhya / अयोध्या में पुलिस अधिकारी ने कहा बढ़िया है सरयू में डूब गये, मोक्ष लेने ही तो आए थे कारसेवा में

ट्रेंडिंग वीडियो