उमर अहमद इलयासी बोले-हमारा देश और देश में रहने वालों में अच्छा मोहब्बत का पैगाम जाए
उन्होंने कहा, “हमारा देश और देश में रहने वालों में अच्छा मोहब्बत का पैगाम जाए। मैं राष्ट्रहित में गया था। मैंने वहां जाकर पैगाम दिया।” रिपोर्ट के मुताबिक, फतवे में पूछा गया था, आप राम मंदिर में क्यों गए। आपने इंसानियत को धर्म से ऊपर रखा, आपने राष्ट्र को धर्म से ऊपर रखा।”
उन्होंने कहा, “हमारा देश और देश में रहने वालों में अच्छा मोहब्बत का पैगाम जाए। मैं राष्ट्रहित में गया था। मैंने वहां जाकर पैगाम दिया।” रिपोर्ट के मुताबिक, फतवे में पूछा गया था, आप राम मंदिर में क्यों गए। आपने इंसानियत को धर्म से ऊपर रखा, आपने राष्ट्र को धर्म से ऊपर रखा।”
उमर अहमद ने कहा-मेरे लिए राष्ट्र सर्वोपरि है
उमर अहमद इलयासी ने कहा, हमारी सभी की जातियां अलग हो सकती हैं। हमारी पूजा पद्धति अलग हो सकती है। हमारे इबादत के तरीके अलग हो सकते हैं। हमारे धर्म अलग हो सकते हैं। हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसान और इंसानियत का है। हम भारत में रहते हैं और सभी भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि है। मेरा यह पैगाम था, जो लोगों को पसंद नहीं आया।”
उमर अहमद इलयासी ने कहा, हमारी सभी की जातियां अलग हो सकती हैं। हमारी पूजा पद्धति अलग हो सकती है। हमारे इबादत के तरीके अलग हो सकते हैं। हमारे धर्म अलग हो सकते हैं। हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसान और इंसानियत का है। हम भारत में रहते हैं और सभी भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि है। मेरा यह पैगाम था, जो लोगों को पसंद नहीं आया।”
उमर अहमद बोले-फतवा इमाम यह चीफ इमाम के लिए लागू नहीं होता
उन्होंने कहा, “इसके बाद इन्होंने देशभर के अंदर मेरा पैगाम-ए-चैनलों पर निकला, तो उसके बाद तमाम अलग-अलग जगहों से मेरे खिलाफ लोग माहौल बना रहे थे। इस बीच एक फतवा आया। यह एक ऐसा फतवा है, जिसे इमाम या चीफ इमाम के लिए यह लागू ही नहीं होता। यह इतिहास का पहला फतवा है।”
उन्होंने कहा, “इसके बाद इन्होंने देशभर के अंदर मेरा पैगाम-ए-चैनलों पर निकला, तो उसके बाद तमाम अलग-अलग जगहों से मेरे खिलाफ लोग माहौल बना रहे थे। इस बीच एक फतवा आया। यह एक ऐसा फतवा है, जिसे इमाम या चीफ इमाम के लिए यह लागू ही नहीं होता। यह इतिहास का पहला फतवा है।”
उमर अहमद इलयासी ने कहा, “मैं खासतौर से उस मुफ्ती केे जवाब देना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे कुफ्र का फतवा जारी किया है। पहले तो यह फतवा मुझ पर लागू नहीं होता, यह भारत है। इस्लामिक देश नहीं है। यहां शरिया कानून नहीं चलता है।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं जो प्राण प्रतिष्ठा में गया, मैं अपने देशहित में गया, आपसी सौहार्द में गया। हमारा देश आपस में जो अतीत में हो गया है, अतीत में जो लाखों लोग मर चुके हैं, हमारा देश उन झगड़ों के चक्कर में पीछे जा चुका है। मुझे लगा कि उन सबको भूलकर आज के लिए सोचना है, कल के लिए सोचना है। जिससे किए देश के अंदर सोहार्द का माहौल बने, उस पैगाम को लेकर गया था। यह मुझपर लागू नहीं होता।”