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अयोध्या

Ram Mandir Katha Quiz 1: राजा दशरथ का पुत्र वियोग और श्रवण कुमार की कथा

Ram Mandir Katha Quiz 1: इस लघुकथा में राजा दशरथ और श्रवण कुमार की कहानी बताई गई है। साथ ही, कथा के अंत में एक क्विज भी दिया गया है, जिसके विजेता को सर्टिफिकेट दिया जाएगा। साथ ही एक लकी विजेता को मिलेगा पत्रिका समूह की ओर से राम मंदिर ट्रिप का मौका।

अयोध्याSep 20, 2023 / 12:15 pm

Aniket Gupta

राजा दशरथ का पुत्रवियोग और श्रवण कुमार की कथा

Ram Mandir Katha Quiz 1: श्रवण कुमार को उनके माता-पिता के प्रति अनंत भक्ति व प्रेम के कारण जाना जाता है। वे अपने अंधे माता-पिता के एकलौते संतान थे। एक बार, जब वे अपने अंधे माता-पिता की प्यास बुझाने के लिए बगल के तालाब से पानी लेने गए, तो अयोध्या के राजा दशरथ के एक बाण के कारण उनकी मृत्यु हो गई। सनातन धर्म में जब भी माता-पिता की सेवा करने की चर्चा होती है, श्रवण कुमार का नाम सबसे पहले आता है। आइए जानते हैं आखिर श्रवण कुमार कौन थें और राम कथा से इनका क्या सम्बन्ध है। इसी कथा पर आधारित कुछ प्रश्न क्विज के रूप में दिए गए हैं। क्विज का लिंक कथा के अंत में मिल जाएगा।
श्रवण कुमार की कथा
यह कथा त्रेतायुग की है। भगवान राम के पिता राजा दशरथ उस समय अयोध्या के राजकुमार हुए करते थे। पौराणीक कथाओं के अनुसार श्रवण नामक बालक के माता-पिता अंधे थें, जिनका नाम शांतनु व ज्ञानवंती था। अंधे होने की वजह से शांतनु और ज्ञानवंती ने बड़ी मुश्किलों और कठिनाइयों से लड़ते हुए श्रवण को पाला। और जब श्रवण कुमार बड़े होकर लायक बनें, तो वह अपने माता पिता की सेवा निस्वार्थ भाव से करने लगे।
एक बार की बात है, श्रवण के माता-पिता ने तीर्थ धाम यात्रा की इच्छा जाहिर की। इतना सुनते ही श्रवण कुमार ने बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां बनाईं और दोनों टोकरियों को एक मजबूत लकड़ी से बांध दिया। इस तरह वे एक तराजू की तरह बन गए, जिसमें उन्होंने एक टोकरी में अपनी माता को और दूसरी टोकरी में अपने पिता को बिठाया। और उस तराजू रूपी कांवड़ को अपने कंधे पर उठाकर माता-पिता को तीर्थ धाम की यात्रा पर लेकर चल दिए। जब लोगों ने देखा कि एक बेटा अपने अंधे माता पिता की इतने समर्पण से सेवा कर रहा है, तो उनका नाम मातृ पितृ भक्त श्रवण कुमार के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
तीर्थ धाम यात्रा के दौरान श्रवण हर रोज़ जंगल में कहीं न कहीं उचित स्थान देखकर ठहरते और वे अपना चूल्हा जलाने के लिए जंगल से लकड़ियां बटोर कर लाते। और फिर वे अपने माता पिता के लिए खाना बनाते। श्रवण कुमार को इतनी मेहनत करते देख उनके माता-पिता हमेशा यह सोचते कि वे कब इस उलझन से मुक्त हो पाएंगे। श्रवण की माता ज्ञानवंती श्रवण को घर के काम करने के लिए उन्हें मना करती लेकिन, इसके बावजूद श्रवण अपना कर्तव्य मानकर हर काम को स्वयं उसी लगन से करते थे।
श्रवण कुमार की मृत्यु कैसे हुई थी?
यात्रा के दौरान एक दिन श्रवण कुमार खाना बना रहे थें और उसी दौरान उनके अंधे माता-पिता ने उनसे पानी पिने की इच्छा बताई। इसके बाद श्रवण घड़ा लेकर पास के तालाब से पानी लेने गए। जब श्रवण कुमार जलाशय से पानी भर रहे थे, तो उनके घड़े से ऐसी आवाज निकल रही थी जैसे कोई जानवर पानी पी रहा हो।
ठीक उसी समय, अयोध्या के राजकुमार दशरथ शिकार खेलने जंगल आए थे। राजकुमार दशरथ के पास शब्दभेदी बाण चलाने की विशेष कला थी, जिसमें वह केवल ध्वनि सुनकर अपने बाण को सटीक निशाने पर मार सकते थें। श्रवण कुमार अपने माता-पिता के लिए पानी भर रहे थे और उनके बर्तन से निकलने वाली ध्वनि राजकुमार दशरथ के कानों तक पहुंची। राजकुमार दशरथ को लगता है कि कोई जानवर तालाब में पानी पी रहा है और उन्होंने उसी ध्वनि की ओर अपना बाण छोड़ दिया। जब बाण श्रवण कुमार के शरीर पर लगा तो उन्होंने जोर से चिल्लाया। श्रवण के चिल्लाने की आवाज सुनकर राजकुमार दशरथ को आभास हुआ कि उन्होंने किसी मनुष्य पर बाण चला दिया है। फिर उन्होंने उन्हें धीरज बंधाते हुए श्रवण के पास गए और पूछा कि वह कौन हैं। श्रवण कुमार ने अपने अंतिम क्षण में उन्हें पूरी कहानी सुनाई, और फिर उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
अयोध्या के राजा दशरथ को मिला था पुत्र वियोग श्राप
राजकुमार दशरथ शर्म से अपना मुंह निचे किए जल पात्र लेकर उनके माता-पिता के पास पहुंचे। वहां पहुंचकर जब दशरथ उनसे जल पीने के लिए कहते हैं, तब वे दोनों दशरथ से पूछते हैं वे कौन हैं और उनका बेटा श्रवण कहां है। तब मन में दुखी होते हुए ग्लानि से भरपूर इक्ष्वाकु वंशज के राजकुमार दशरथ उन्हें सारा वृतांत बताते हैं। दशरथ ने कहा, वे उनके अपराधी हैं और उनके भूल की वजह से उनके पुत्र श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई है। अपने इकलौते पुत्र की मृत्यु की खबर सुनकर दोनों माता-पिता बुरी तरह से रोने लगे। पुत्र वियोग में रोते-रोते श्रवण कुमार की माता ने अपने प्राण त्याग दिए। और तब श्रवण के पिता शांतनु ने राजकुमार दशरथ से कहा कि उन्होंने किसी दोषी के कारण अपना पूरा परिवार खो दिया। पहले उनका पुत्र श्रवण मर गया और अब उनकी पत्नी ने भी प्राण त्याग दिए। अब वे भी अपने प्राण त्यागने जा रहे हैं। लेकिन, उससे पहले मुनि शांतनु ने राजकुमार दशरथ को श्राप दिया। उन्होंने कहा, आज जिस तरह से मैं पुत्र वियोग में मर रहा हूँ, ठीक उसी प्रकार तुम्हारी मृत्यु भी पुत्र वियोग के कारण होगी। और उसके बाद श्रवण के पिता ने भी अपने प्राण त्याग दिए। तीनो की मृत्यु बाद राजकुमार दशरथ दुख और ग्लानि से भरे हुए तीनों का अंतिम संस्कार किया।
श्रवण के पिता के इस श्राप की वजह से ही राजा दशरथ ने भी पुत्र वियोग में अपने प्राण त्याग दिए। पुत्र राम को 14 वर्षों का वनवास हुआ और उसी वियोग में राजा दशरथ के प्राण पखेरू हो गए।
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Note:- पूरी कथा पढ़ने के बाद अब यहां आपको एक क्विज दिया जा रहा है। आपको कथा पर आधारित कुछ प्रश्नो के जवाब देने हैं। इस क्विज में जीतने वाले को पत्रिका डॉट कॉम की तरफ से सर्टिफिकेट दिया जाएगा। साथ ही, उसे 50 लाख से अधिक फॉलोअर वाले पत्रिका उत्तर प्रदेश के सोशल मीडिया पेजेज पर फीचर होने का मौका भी मिलेगा।
क्विज खेलने के लिए इस लिंक पर क्लिक करेंPlay Ram Mandir Katha Quiz

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