अयोध्या का प्राचीन मंदिर है दंत धवन कुंड अनुभव पांडेय ने जानकारी देते हुए बताया कि यह कि पौराणिक इतिहास व श्रुतियो द्वारा तथा परंपरागत रिवाज के अनुसार आचारी मंदिर दंतधावन कुंड, अयोध्या जी का अत्याधिक प्राचीन मंदिर है जो कि विरक्त परंपरा की गद्दी है। स्वर्गीय जय कृष्णाचारी दंतधावन कुंड के महंत एवं सरवराहकार जो स्वयं विरक्त व बाल ब्रह्मचारी के तौर पर गद्दी नसीन थे। जिसके बाद नारायणाचारी इस पीठ के महंत बने। जिन्होंने अपने तीन बेटों में से सबसे छोटे बेटे विवेक को सरवराहकार लिखा एवं अपने सबसे बड़े बेटे कौस्तुभ को अपने ही बड़े भाई रामचंद्र आचारी का बेटा लिखते हुए वली बना दिया जो न तो रामचंद्र आचारी का बेटा था और न ही वसीयत के समय बालिग़ था । उनके निधन के बाद अब विवेक आचारी महन्त बने हुए हैं। जिसके कारण मंदिर की संपत्तियों का भी नुकसान हो रहा है।
दावा करने वाले ने लगाया मंदिर के संपत्ति के नुकसान का आरोप वहीं अनुभव पांडेय ने कहा कि हम सभी मंदिर एवं समस्त संपत्ति की रक्षार्थ संघर्षरत हैं, जिस प्रकार स्थान दंतधावन कुंड के लाखों शिष्य एवं भक्त हैं जिसकी आस्था को ठगा जा रहा है , घोर पाप कर्म है मंदिर में आम जन एवम शिष्यों के प्रवेश पर रोक है, भगवान के दर्शन नहीं करने दिया जा रहा है, बहुत संभव है कि भगवान के प्राचीन विग्रह को नुकसान पहुंचा दिया गया हो एवम प्राचीन अभिलेखों को नष्ट कर दिया गया हो। ऐसे पतित, अयोग्य व्यक्तियों का समूह अवैध रूप से मंदिर पर कब्जा किए हुए हैं और मंदिर की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहे हैं। इन सभी की आम शोहरत किसी से छिपी नहीं है। आज आवाज नहीं उठाई गई तो कई अन्य मंदिरों की भांति ही यह सनातन धर्म की धरोहर सदा सर्वदा के लिए नष्ट हो जायेगी | लेकिन ऐतिहासिक दंत धवन कुंड मंदिर को लेकर लगाए गए आरोप सही नहीं हो सकता है। पत्रिका इस खबर को उचित नहीं ठहरा रहा है।