हल्की होने लगती हैं रेखाएं: समुद्र शास्त्र के अनुसार मौत से पहले हथेली की रेखाएं हल्की और अस्पष्ट होने लगती हैं। इनको देखना भी मुश्किल हो जाता है।
ज्ञानेंद्रियों का काम बंद करनाः शिव पुराण के अनुसार जिस व्यक्ति की पांचों ज्ञानेंद्रियां काम करना बंद कर दें, उस व्यक्ति के लिए यह मृत्यु पूर्व संकेत मानना चाहिए।
यह तारा दिखना बंद हो जायः जिस व्यक्ति को अरुंधति तारा, चंद्रमा आदि ठीक से दिखाई न दें, उस व्यक्ति को समझना चाहिए, उसका जीवन कुछ ही दिन बचा है।
परछाई ऐसी दिखेः कोई व्यक्ति अपनी परछाई को बिना सिर का देखे या उसे खुद की छाया दिखाई देना बंद हो जाय तो उस व्यक्ति की मौत निकट है ऐसा समझना चाहिए।
विचित्र घटनाएं: शिव पुराण के अनुसार जिस व्यक्ति को रात में इंद्र धनुष और दिन में उल्कापात होता समझ में आए, उसका जीवन छह महीने ही शेष माना जाता है।
यह तारे न दिखें: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जिस व्यक्ति को आसमान में सप्तर्षि तारे दिखाई देना बंद कर दें, शिव पुराण के अनुसार उस व्यक्ति की मौत सन्निकट है।
आसपास दिखें सायेः कुछ ग्रंथों के अनुसार मृत्यु करीब होने पर व्यक्ति को अपने आसपास साये होने का अहसास होता है। ऐसे व्यक्तियों को अपने पूर्वज और मृत व्यक्ति नजर आने लगते हैं। वहीं अशुभ स्वप्न भी दिखाई देते हैं।
इंसान नजर न आएः गरुण पुराण के अनुसार मृत्यु करीब आती है तो पास बैठा व्यक्ति भी नजर नहीं आता, व्यक्ति को यम के दूत नजर आते हैं और उसे डर भी लगता है। सांसें उल्टी चलने लगती हैं।
यह है एक माह के जीवन का संकेतः कुछ ग्रंथों के अनुसार जिन व्यक्तियों का जीवन एक माह ही बचा होता है, उन व्यक्तियों को उनकी छाया स्वयं से अलग होने का अहसास होता है। कुछ लोगों को छाया का सिर भी नहीं दिखाई देता।
मृत्यु गंधः आयुर्वेद के अनुसार किसी व्यक्ति की मौत से पहले उसके शरीर से अजीब सी गंध आती है, यह मृत्यु गंध कहलाती है। यह किसी मुर्दे की गंध की तरह होती है और हृदयाघात, मष्तिष्काघात आदि के कारण होती है।
यह भी लक्षणः मौत से पहले व्यक्ति को दर्पण में खुद के चेहरे की जगह किसी और का चेहरा दिखने का अहसास होता है। इसके अलावा उस व्यक्ति को नाक की नोक न दिखे तब भी मृत्यु को करीब समझना चाहिए। क्योंकि आंखें ऊपर की ओर मुड़ने लगती है।
रोशनी न दिखेः जब व्यक्ति को सूर्य, चंद्र, आग की रोशनी न दिखे तो बहुत संभव है कि उस व्यक्ति का जीवन बहुत कम बचा है।
परछाई न दिखेः जब व्यक्ति पानी, तेल या दर्पण में अपनी परछाई न देख पाए या उसे परछाई विकृत दिखाई दे, इसका अर्थ है कि उस व्यक्ति के पास समय कम है।
श्वांस के संकेतः यदि किसी व्यक्ति का श्वांस धीमी हो जाए, उसे शांति न मिल रही हो तो समझना चाहिए उसका बचना मुश्किल है। अमूमन 2-3 दिन पहले नाक के स्वर अव्यवस्थित हो जाते हैं। कहते हैं कि सर्दी जुकाम के समय को छोड़कर दाहिनी नासिका से एक दिन और रात लगातार सांस ले रहा है तो यह गंभीर रोग के घर करने का लक्षण है और उस व्यक्ति की मौत तीन वर्ष में हो सकती है।
दक्षिण श्वांस दो तीन दिन चलती रहे तो ऐसे व्यक्ति को संसार में एक वर्ष का मेहमान मानना चाहिए। दोनों नासिका छिद्र दस दिन तक उर्ध्व सांस के साथ चलें तो मनुष्य के पास तीन दिन ही हैं। वहीं सांस नासिका की जगह मुंह से चलने लगे तो उसके पास दो दिन का समय मानना चाहिए।
यह भी मौत करीब होने का लक्षणः जब मल, मूत्र, छींक और छींक एक साथ गिरें तो मनुष्य के पास एक साल का समय होता है। वहीं वीर्य, नख और नेत्रों का कोना नीले या काले रंग का हो जाय तो इस व्यक्ति के पास एक से छह साल का ही समय बचता है।
कुत्ते का संकेतः यदि कुत्ता घर से निकलने के बाद आपके पीछे चलने लगे, और तीन-चार दिन लगातार हो तो सतर्क होने की जरूरत है।
बाएं हाथ का फड़कनाः यदि बायां हाथ एक सप्ताह तक अकारण फड़कता रहे तो समझना चाहिए की मौत करीब है। वहीं नीले रंग की मक्खियां आपको घेरने लगें या आसपास ही भिनभिनाती रहें तो समझना चाहिए समय 1 माह ही बचा है।