खीर पर भी ग्रहण
सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन 14 अक्टूबर को सूर्यग्रहण रहेगा, जबकि शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को चंद्रग्रहण रहेगा। सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए हमारे यहां न तो इसका कोई सूतक मान्य होगा और न ही कोई दोष लगेगा, इसलिए पितृमोक्ष अमावस्या के दिन सभी प्रकार के आयोजन निर्विर्घ्न होंगे, इसी प्रकार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लगेगा, जो भारतवर्ष में दिखाई देगा। इस ग्रहण का सूतक दोपहर बाद से प्रारंभ होगा जो मध्यरात्रि के बाद तक रहेगा। इस दिन रात्रि में मंदिरों के पट बंद रहेंगे, मंदिरों में भजन कीर्तन तो होंगे, लेकिन खीर का भोग नहीं लगेगा।
सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन 14 अक्टूबर को सूर्यग्रहण रहेगा, जबकि शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को चंद्रग्रहण रहेगा। सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए हमारे यहां न तो इसका कोई सूतक मान्य होगा और न ही कोई दोष लगेगा, इसलिए पितृमोक्ष अमावस्या के दिन सभी प्रकार के आयोजन निर्विर्घ्न होंगे, इसी प्रकार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लगेगा, जो भारतवर्ष में दिखाई देगा। इस ग्रहण का सूतक दोपहर बाद से प्रारंभ होगा जो मध्यरात्रि के बाद तक रहेगा। इस दिन रात्रि में मंदिरों के पट बंद रहेंगे, मंदिरों में भजन कीर्तन तो होंगे, लेकिन खीर का भोग नहीं लगेगा।
ऐसे रहेगा चंद्रग्रहण – ग्रहण का स्पर्श रात्रि 1:05 बजे – ग्रहण का मध्य रात्रि 1:44 बजे – ग्रहण का मोक्ष रात्रि 2:24 बजे – ग्रहण का सूतक दोपहर 4:05 बजे
किस राशि के लिए कैसा? – शुभ : कर्क, मिथुन, वृश्चिक, धनु, कुंभ – मध्यम : सिंह, तुला, मीन – अशुभ : मेष, वृष, कन्या, मकर ऐसा 9 साल बाद…
ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम का कहना है कि यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि पर होगा। ग्रहण का प्रारंभ ईशान कोण से होगा और मोक्ष चंद्रमा के अग्नि कोण पर होगा। एक पखवाड़े में दो ग्रहण शुभ नहीं माने जाते हैं।
ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम का कहना है कि यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि पर होगा। ग्रहण का प्रारंभ ईशान कोण से होगा और मोक्ष चंद्रमा के अग्नि कोण पर होगा। एक पखवाड़े में दो ग्रहण शुभ नहीं माने जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. विष्णु राजौरिया के अनुसार शरद पूर्णिमा के चंद्रग्रहण का असर भारत में दिखेगा, इसलिए इसका सूतक होगा। अत: दिन में ही भगवान का अभिषेक, पूजन अनुष्ठान करना होगा। मध्यरात्रि के बाद खीर भगवान को अर्पित कर सकते हैं।