शनि पिछले ढाई वर्षों से अपनी स्वयं की राशि मकर में गोचर थे, वहां से वह आज 17 जनवरी 2023 से कुंभ राशि में प्रवेश करने जा (Shani Gochar 2023) रहे हैं जहां अगले ढाई वर्षो तक वे कुंभ में ही रहेंगे, जिसके चलते धनु राशि से शनि साढ़ेसाती (Shani ki sade sati) की समाप्ति होगी। वहीं मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होगी, अब शनि की साढ़ेसाती मकर, कुंभ और मीन राशियों पर रहेगी। वहीं शनि की ढैय्या कर्क और वृश्चिक राशि पर रहेगी।
शनि गोचर का भारत पर यह होगा प्रभाव
पं. अरविंद तिवारी के अनुसार भारत देश का लग्न वृषभ और राशि कर्क है, शनि का गोचर भारतवर्ष के लग्न के दशम भाव में होने जा रहा है, वहीं राशि से अष्टम भाव में प्रवेश कर रहा है। इसके दो अलग-अलग प्रकार से परिणाम होंगे, दशम भाव में गोचर करने से भारतवर्ष को उन्नति की एक नई दिशा और दशा प्राप्त होगी। वहीं राशि के अष्टम भाव में गोचर करने से अर्थव्यवस्था और अन्य प्रकार की समस्याओं में वृद्धि होगी, जिसके चलते 16 अप्रैल 2023 जब गुरु का गोचर मेष राशि में होगा, तब अर्थव्यवस्था और विकास के क्षेत्र में भारत को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
ये भी पढ़ेंः पति, पत्नी या लवर को आकर्षित करने के लिए यह दिन है खास, जानिए वजह
यह होगा भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान पर शनि का प्रभाव
शनि देव के कुंभ राशि में प्रवेश करने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी, पाकिस्तान में राजनीतिक संकट बढ़ेगा, डॉलर 330 सौ से 400 पर पहुंचेगा। बिजली, आटा की महंगाई अपनी चरम सीमा पर पहुंचेगी। यह ढाई साल पाकिस्तान की नाकामी को बढ़ाने वाला होगा।
वहीं नेपाल में और आर्थिक संकट बढ़ेगा, महंगाई बढ़ेगी। शनि के कुंभ राशि में गोचर के प्रभाव से नेपाल की अर्थव्यवस्था कमजोर होगी, राजनीतिक नेतृत्व पतन की ओर आगे बढ़ेगा। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था और कमजोर होगी, बांग्लादेश की स्थिति बेहतर होगी परंतु मालदीव में पाकिस्तान की तरह ही समस्या बढ़ सकती है। ईरान में संकट कम होगा परंतु अर्थव्यवस्था और कमजोर होगी।