इसलिए ज्योतिषियों की सलाह पर ही इन्हें पहनना चाहिए। यह सकारात्मक फल देता है तो कुछ ही दिनों में व्यक्ति को सुख, संपदा और ऐश्वर्य से परिपूर्ण कर देता है। लेकिन अगर सूट नहीं करता तो राजा को भिखारी बना देता है। आइये जानते हैं नीलम पहनने के फायदे और सूट न करने पर होने वाले नीलम के नुकसान।
इन्हें पहनना चाहिए नीलमः नीलम रत्न (sapphire stone) का संबंध शनि से है, जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर हों (शनि नीच के हों तो न पहनें), उन्हें ज्योतिषियों की सलाह पर नीलम पहनना चाहिए। ऐसे व्यक्ति जिनकी राशि मकर और कुंभ हो, वो नीलम पहन सकते हैं। इसके अलावा शनि के मित्र ग्रह शुक्र की राशि वृषभ और तुला के जातक भी नीलम पहन सकते हैं।
शनि यदि पंचम, नवम और दशम भाव में उच्च के हैं तो नीलम धारण कर सकते हैं, जबकि शनि की जिन ग्रहों से शत्रुता होती है उनकी राशियों को यह रत्न नहीं पहनना चाहिए। लेकिन इससे पहले ज्योतिषी की सलाह लेना ही उचित रहेगा।
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नीलम पहनने का फायदा
1. रत्न विज्ञान के अनुसार नीलम रत्न काली विद्या, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, भूत-प्रेत आदि से बचाता है।
2. नीलम धारण करने से व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ती है और कार्यशैली में निखार आता है।
3. ऐसे व्यक्ति जिन पर शनि की साढ़े साती या ढैय्या का प्रभाव हो, उन्हें सूट करने पर नीलम पहनना चाहिए।
नीलम पहनने का फायदा
1. रत्न विज्ञान के अनुसार नीलम रत्न काली विद्या, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, भूत-प्रेत आदि से बचाता है।
2. नीलम धारण करने से व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ती है और कार्यशैली में निखार आता है।
3. ऐसे व्यक्ति जिन पर शनि की साढ़े साती या ढैय्या का प्रभाव हो, उन्हें सूट करने पर नीलम पहनना चाहिए।
4. नीलम सूट कर रहा है तो पहले से कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है तो वह ठीक होने लगती है।
5. नीलम पहनने से आर्थिक लाभ होता है, नौकरी और व्यापार में तरक्की होने लगती है।
6. नीलम पहनने के बाद कोई अशुभ घटना न हो, तब समझना चाहिए यह आपके लिए शुभ है।
7. कुंडली में शनि की महादशा विपरीत हो तो ऐसे व्यक्ति के लिए नीलम शुभ है।
नीलम पहनने के नियम
1. पांच से सवा सात रत्ती नीलम पहनने का नियम है।
2. नीलम जब भी पहनें, पंचधातु की अंगूठी में पहनें।
3. शनिवार या शनि के नक्षत्र के समय शाम को पहन सकते हैं।
1. पांच से सवा सात रत्ती नीलम पहनने का नियम है।
2. नीलम जब भी पहनें, पंचधातु की अंगूठी में पहनें।
3. शनिवार या शनि के नक्षत्र के समय शाम को पहन सकते हैं।
4. पहनने से पहले गंगाजल, दूध, केसर, शहद के घोल में पंच धातु की अंगूठी 20-25 मिनट रख दें, फिर निकालने के बाद गंगाजल से धो लें। शनि का बीज मंत्र ऊँ सं शनिश्चराय नमः को 150 बार पढ़ें, शनि प्रतिमा के सामने दीया जलाएं। इसके बाद ही नीलम धारण करें।
5. नीलम धारण करने के बाद शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं को दान करना चाहिए।
6. नीलम को दायें हाथ की बीच की अंगुली में पहनना चाहिए।
नीलम पहनने का नुकसान
1. यदि किसी व्यक्ति को नीलम सूट नहीं करता तो उसकी आंखों में तकलीफ होती है।
2. नीलम के सूट न करने पर पहनने वाला व्यक्ति शारीरिक पीड़ा पाता है, उसके दुर्घटनाओं का शिकार होने की भी आशंका रहती है।
3. नीलम के प्रतिकूल होने पर पहनने वाले व्यक्ति को डरावने सपने भी आते हैं और आर्थिक नुकसान भी होता है।
क्या है असली नीलम की पहचान
नीलम रत्न की पहचान बहुत आसान है। नीलम रत्न को कांच के गिलास में डाल दें तो इसकी नीली किरण गिलास से बाहर निकलती दिखाई देती है। इससे पहचाना जा सकता है कि नीलम असली है या नकली।
नीलम रत्न की पहचान बहुत आसान है। नीलम रत्न को कांच के गिलास में डाल दें तो इसकी नीली किरण गिलास से बाहर निकलती दिखाई देती है। इससे पहचाना जा सकता है कि नीलम असली है या नकली।