ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें और 12वें भाव में बैठा है तो मंगल दोष बनता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सप्तम भाव पर मंगल का प्रभाव विवाहित और दांपत्य जीवन के लिए बुरा होता है। वहीं, जब एक मांगलिक लड़का या लड़की एक गैर-मांगलिक जीवनसाथी से शादी करते हैं तो कई जोड़ों की मृत्यु हो जाती है या वे गंभीर दुर्घटनाओं के कारण विकलांग हो जाते हैं। इन घरों में सूर्य, शनि, राहु और केतु स्थान भी अंशी मांगलिक दोष का निर्माण करते हैं। हालांकि हमारे ग्रंथों में विवाह और वैवाहिक जीवन से जुड़ी परेशानियों से बचने के लिए लड़का या लड़की को मंगल दोष दूर करने के उपाय बताए गए हैं।
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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक दोष है तो उसे मांगलिक दोष निवारण के लिए विवाह से पहले दोष की काट का यह उपाय जरूर करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी कन्या की कुंडली में विधवा योग है तो उसके नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए कुंभ विवाह संस्कार करना चाहिए। यदि ऐसी कन्या कुंभ विवाह किए बिना ही किसी वर से विवाह कर लेती है तो उसे विधवा होने की संभावना होती है। कुंभ विवाह अनुष्ठान में पहले दुल्हन का विवाह मिट्टी के बर्तन में स्थापित भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ किया जाता है। पूरे विवाह समारोह के बाद विष्णु की मूर्ति को जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है। इस प्रकार कुंभ विवाह समारोह संपन्न होता है। इसके बाद संबंधित दुल्हन का विवाह दूसरे दूल्हे के साथ किया जा सकता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक दोष है तो उसे मांगलिक दोष निवारण के लिए विवाह से पहले दोष की काट का यह उपाय जरूर करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी कन्या की कुंडली में विधवा योग है तो उसके नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए कुंभ विवाह संस्कार करना चाहिए। यदि ऐसी कन्या कुंभ विवाह किए बिना ही किसी वर से विवाह कर लेती है तो उसे विधवा होने की संभावना होती है। कुंभ विवाह अनुष्ठान में पहले दुल्हन का विवाह मिट्टी के बर्तन में स्थापित भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ किया जाता है। पूरे विवाह समारोह के बाद विष्णु की मूर्ति को जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है। इस प्रकार कुंभ विवाह समारोह संपन्न होता है। इसके बाद संबंधित दुल्हन का विवाह दूसरे दूल्हे के साथ किया जा सकता है।
वैसे तो कुंभ विवाह कहीं भी कराया जा सकता है, लेकिन त्र्यंबकेश्वर में कुंभ विवाह का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि यहां द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है और त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश यहां विराजमान हैं। इससे यहां कुंभ विवाह करना अधिक फायदेमंद हैं। यहां मां गंगा प्रकट होती हैं। यहां सभी देवी-देवता गुप्त रूप से निवास करते हैं और यहां कुंभ विवाह करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल दोष के दुष्प्रभाव से बचने के लिए ओम क्रां क्रीम् क्रौं सः भौमाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा मंगल ग्रह की शांति पूजा, मंगलवार व्रत, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड पाठ और हनुमान मंदिर जाकर बूंदी का प्रसाद बांटना मंगल दोष के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है। इसके अलावा मंगलवार के दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने और हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने, तीन मुखी रुद्राक्ष या फिर मूंगा रत्न ज्योतिषी की सलाह से धारण करने से लाभ होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल दोष के दुष्प्रभाव से बचने के लिए ओम क्रां क्रीम् क्रौं सः भौमाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा मंगल ग्रह की शांति पूजा, मंगलवार व्रत, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड पाठ और हनुमान मंदिर जाकर बूंदी का प्रसाद बांटना मंगल दोष के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है। इसके अलावा मंगलवार के दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने और हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने, तीन मुखी रुद्राक्ष या फिर मूंगा रत्न ज्योतिषी की सलाह से धारण करने से लाभ होता है।