पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करने या सुनने से जीवन की दुश्वारियां कम होती हैं और सुख की वृद्धि होती है। पौष महीने की पूर्णिमा का इतना महत्व है कि इसे पौष पर्व कहा गया है। इस बार पूर्णिमा गुरुवार के दिन है जिससे इसका महत्व और ज्यादा हो गया है।
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पूर्णिमा पर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ऊँ नमः शिवाय मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार स्नान.दान और व्रत के साथ ही शास्त्रों में पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
दरअसल पौष माह सूर्य देव की उपासना का ही माह है। इसके अंतिम दिन यानि पौष पूर्णिमा को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य जरूर देना चाहिए। इससे आरोग्य प्राप्त होता है, राजकीय अनुग्रह और यश सम्मान भी प्राप्त होता है। करियर या सार्वजनिक जीवन में उच्च पद की प्राप्ति होती है।
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25 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन से ही माघ स्नान प्रारंभ हो जाएंगे जोकि माघ के पूरे महीने चलेंगे। 26 जनवरी से माघ का महीना शुरू होगा। पौष पूर्णिमा पर सूर्य पूजा के साथ दिन की शुरुआत करना बहुत शुभ होता है।
पूर्णिमा के दिन क्या करें
इस दिन ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिव मंदिर में शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। शिवजी को बिल्वपत्र, धतूरा, फूल अर्पित करें और मिठाई का भोग लगाएं। शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाएं और ऊँ नमः शिवाय मंत्र का कम से कम एक माला जाप करें।
पूर्णिमा पर सुबह जल्द स्नान करें और सूर्यदेव व तुलसीजी को जल चढ़ाएं। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं। पितरों के निमित्त जरूरतमंद लोगों को भोजन, अनाज, धन, कपड़े, जूते-चप्पल आदि का दान करना चाहिए।