पं. तिवारी इसरो से मिली जानकारी के आधार पर किए गए ज्योतिषीय आकलन में कहते हैं कि आदित्य एल 1 सूर्य यान चार माह बाद एल 1 कक्षा में पहुंचेगा और यहां से आदित्य एल 1 की पृथ्वी और सूर्य से दूरी तकरीबन बराबर होगी। इस समय सूर्य धनु और मकर राशि में यानी शनि की राशि में होगा।
इसके फलस्वरूप आदित्य एल 1 कक्षा में स्थापित होने के बाद महत्वपूर्ण आकड़े जुटाएगा और वह खोज करेगा, जिसकी दुनिया कल्पना ही कर सकती है। यह अभियान आने वाले दिनों में अंतरिक्ष में भारत की उड़ान को उस मुकाम तक पहुंचाएगा, जहां अभी दुनिया कल्पना ही कर सकती है।
ज्योतिष के आकलन के अनुसार गुरु अभी वक्रीय स्थिति में मेष राशि में है। शनि वक्रीय अवस्था में हैं और सूर्य सिंह राशि में है। यह स्थिति आदित्य एल 1 अभियान को सफल बनाएगी।
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सौर वायुमंडल में आदित्य-L1 को दिया गया यह काम
आदित्य एल-1 भारत का पहला सूर्य मिशन है। इसे लॉन्च करके भारत सौर वायुमंडल यानी क्रोमोस्फेयर और कोरोना की गतिशीलता का अध्ययन करना चाहता है। आदित्य- L1 सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा। सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की स्टडी करेगा। सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा।
आदित्य एल-1 भारत का पहला सूर्य मिशन है। इसे लॉन्च करके भारत सौर वायुमंडल यानी क्रोमोस्फेयर और कोरोना की गतिशीलता का अध्ययन करना चाहता है। आदित्य- L1 सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा। सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की स्टडी करेगा। सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा।
Aditya-L1 की सफलता के लिए हवन
इधर, देशभर में सूर्य मिशन Aditya-L1 को लेकर लोगों में उत्साह है। सूर्ययान की सफलता के लिए कांदिवली के मिथिला हनुमान मंदिर में हवन किया गया। वहीं, वाराणसी में भी मिशन की सफलता की कामना के लिए हवन हुआ। देवभूमि उत्तराखंड सहित देश के कई हिस्सों में ऐसा नजारा देखने को मिला।
इधर, देशभर में सूर्य मिशन Aditya-L1 को लेकर लोगों में उत्साह है। सूर्ययान की सफलता के लिए कांदिवली के मिथिला हनुमान मंदिर में हवन किया गया। वहीं, वाराणसी में भी मिशन की सफलता की कामना के लिए हवन हुआ। देवभूमि उत्तराखंड सहित देश के कई हिस्सों में ऐसा नजारा देखने को मिला।