इमरान खान ने इन सबके बावजूद फिर से कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस मुद्दे को उठाएंगे। अब सवाल यह उठता है कि इमरान खान वैश्विक मंचों से हार मिलने के बाद भी इस मुद्दे को क्यों नहीं छोड़ना चाहते हैं और क्यों बार-बार कश्मीर का राग अलाप रहे हैं।
आखिर ऐसा क्या है, जिसको लेकर इमरान खान पाकिस्तानी आवाम के सामने कश्मीर मुद्दा बार-बार उठा रहे हैं, जबकि आम लोग इसे कश्मीर विवाद को लेकर खुद को इससे जोड़ना नहीं चाहते हैं। तो आइए समझने की कोशिश करते हैं..
पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली
दरअसल, मौजूदा समय में पाकिस्तान की जो आर्थिक स्थिति है, वह आजादी के बाद से सबसे बुरी स्थिति में है। इमरान खान को प्रधानमंत्री बने हुए एक साल पूरे हो गए हैं। इमरान खान पाकिस्तान की सत्ता में इस वादे के साथ आए थे कि वे बदहाल अर्थव्यस्था को पटरी पर ला देंगे। लेकिन अब पहले से भी खराब स्थिति में पहुंच गई है।
आलम यह है कि दूध के दाम 150 रुपए के करीब पहुंच गया है, जबकि अन्य बाकी जरूरी चीजों की कीमतों में भी भारी उछाल आया है।
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इन सबसे बचने के लिए इमरान खान ने एक रणनीति के तहत आम लोगों को उलझाए रखने के लिए कश्मीर मुद्दे को उठाया है। ताकि आम लोग आर्थिक बदहाली को लेकर सवाल न उठाए और विरोध प्रदर्शन न करे।
IMF से ऋण लेना
इमरान खान जब सत्ता में आए थे तो उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की आर्थिक हालात को सुधारने के लिए वे बेलआउट पैकेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास नहीं जाएंगे। वे इसके बदले में पश्चिम एशियाई देशों और चीन की मदद लेंगे।
हालांकि एक साल के अंदर वे ठीक इसके विपरीत व्यवहार करते रहे। इमरान खान ने IMF के पास न केवल बेलआउट पैकेज की गुहार लगाई, बल्कि IMF की ओर से लगाए गए कड़े शर्तों को भी मानने के लिए राजी हो गए। इमरान खान ने इसके अलावा चीन, सऊदी अरब और यूएई से भी भारी मात्रा में कर्ज लिए।
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IMF ने पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर ऋण देने को तैयार है। फिलहाल आईएमएफ ने 6 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज में से महज 99.10 करोड़ डॉलर की पहली किस्त ही जारी की है। अपाकिस्तान पर 40 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है जो उसकी इकॉनमी से भी ज्यादा है।
पाकिस्तान की गिरती जीडीपी
पाकिस्तान मौजूदा समय में भुगतान संतुलन के संकट से जूझ रहा है। आलम यह है कि पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार में केवल दो महीने तक आयात करने के लिए धन बचा है। पाक का बजट घाटा जीडीपी का 8.9 फीसदी पहुंच गया है, जो कि बीते 20 सालों में सबसे अधिक है।
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पाकिस्तानी रुपए की कीमत बीते एक साल में डॉलर के मुकाबले एक तिहाई घट गई है, साथ ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) एक साल में 60% गिर चुका है। इमरान खान ने 2018-19 में विदेशी मुद्रा के संकट से बचने के लिए 16 अरब डॉलर का ऋण लिया है।
FATF की कार्रवाई
आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई और आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान से कई कदम उठाने के लिए कहे थे। लेकिन पाकिस्तान उसमें नाकाम रहा।
लिहाजा FATF ने पहले ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल रखा है और अब उसे ब्लैक लिस्ट होने का खतरा सता रहा है। ब्लैकलिस्ट होने पर पाकिस्तान की आर्थिक हालात और भी अधिक खराब हो जाएंगे।
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अभी बैंकॉक में इस बात का मूल्यांकन किया जा रहा है कि पाकिस्तान ने उनके द्वारा दिए गए टास्क पर कितना कार्य किया है। यदि FATF को यह महसूस होता है कि इमरान खान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहता है तो ऐसे में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा।
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