अब इसी कड़ी में चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) के करीब गांवों का बसा रहा है और सैन्य सुविधाओं को बढ़ा रहा है। चीन झिंजियांग से भूटान तक LAC के करीब गांवों के निर्माण की नीति पर आगे बढ़ रहा है। साथ ही साथ भारत पर दबाव बनाए रखने के लिए सैन्य सुविधाओं और हवाईअड्डे जैसे दोहरे उपयोग के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है।
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राज्य परिषद सूचना कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) पर एक नए नीति पत्र में ये बात सामने आई है कि जिस तरह से चीन ने तिब्बत की 4,000 किलोमीटर की सीमा के साथ “मध्यम समृद्धि के गांवों” के निर्माण के लिए लगभग एक दशक तक व्यवस्थित रूप से पैसा लगाया, जिसमें से अधिकांश एलएसी के साथ जुड़ा है।
डोकलाम को लेकर चीन की नई रणनीति
1951 से तिब्बत: मुक्ति, विकास और समृद्धि शीर्षक से प्रकाशित नीति पत्र में कहा गया है कि चीन ने 2020 के अंत तक तिब्बत के सुदूर क्षेत्र के कई सीमावर्ती गांवों को राजमार्गों से बेहतर ढंग से जोड़ा है और सभी गावों तक मोबाइल संचार पहुंचाने की व्यवस्था की है।
चीन की हर नापाक चाल पर भारतीय सेना की पैनी नजर है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने झिंजियांग से अरुणाचल प्रदेश तक एलएसी के साथ सीमावर्ती गांवों के निर्माण में तेजी लाने के अभियान पर व्यापक जानकारी एकत्र की है। इन सीमावर्ती गांवों में घरों और सड़कों का काम महामारी के दौरान भी तीव्र गति से पूरा किया जा रहा है।
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नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया है कि “हमें झिंजियांग और तिब्बत में एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश में पूर्वी क्षेत्र में आने वाले ऐसे गांवों के बारे में जानकारी मिली है। चिंताजनक बात ये है कि चीन पूर्वी क्षेत्र में भूटान पर दबाव बनाने के लिए गांवों का विकास कर रहा है, ताकि भूटान दबाव में डोकलाम क्षेत्र को छोड़ दे।” उन्होंने कहा कि भूटान पर दबाव पहले से बनाया जा रहा है ताकि चीन के साथ प्रस्तावित 25वें दौर की सीमा वार्ता के दौरान इसका लाभ लिया जा सके। फिलहाल, वार्ता की तारीखें तय नहीं की गई हैं।
सैन्य हवाई अड्डे बना रहा है चीन
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत, भूटान और चीन के बीच ट्राई-जंक्शन में कई गांव देखने को मिला है। अब अरुणाचल प्रदेश के पास लोंगजू के करीब एक नया गांव देखने को मिला है, जो भारत और चीन के बीच 1959 में पहली बार संघर्ष का गवाह बना था।
नीति पत्र में कहा गया है कि TAR में सभी प्रशासनिक गांवों तक पहुंच प्रदान करने के लिए 118,800 किलोमीटर हाईवे बनाए गए हैं। 84 फीसदी कस्बों और 76 प्रतिशत प्रशासनिक गांवों की डामर और कंक्रीट की सड़कों तक सीधी पहुंच है।
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एक अखबार की रिपोर्ट में बताया गया है कि “कई फीडर हवाई अड्डे बनाए गए हैं, जिनमें कम्दो में बामदा हवाई अड्डा, निंगची में मेनलिंग हवाई अड्डा, ज़िगाज़ में शांति हवाई अड्डा और नगारी में गुनसा हवाई अड्डा शामिल हैं।” कई नए हवाई अड्डे सीमावर्ती क्षेत्रों के करीब स्थित हैं, खासकर भारत के साथ।
लोगों ने कहा कि चीनी अधिकारियों की एक विस्तार परियोजना के हिस्से के रूप में लुंज़े, टिंगरी और बुरांग काउंटियों में तीन और हवाई अड्डे बनाने की योजना है, जिसमें ल्हासा गोंगगर हवाई अड्डे पर दूसरे रनवे का निर्माण शामिल होगा।