और इसी तर्ज पर कांग्रेस की जारी होने वाली पहली सूची में राहुल गांधी के साथ साथ प्रियंका गांधी का भी नाम होने के कयास लगाये जाने शुरू हो गये हैं। कांग्रेस की पहली सूची में सबसे ज्यादा खास नजर अमेठी और रायबरेली लोक सभा सीट पर होगी।
अमेठी कई वर्षों से गांधी परिवार का गढ़ रहा है। लेकिन कुछ दिनों पहले सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जाने लगा था कि अमेठी ही नहीं बल्कि अब रायबरेली से भी गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं होगा। ये चर्चा सोनिया गांधी के राज्यसभा चले जाने के बाद से होने लगी थी।
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राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने की खबर आ रही है। असल में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से यह मांग की गई है कि राहुल गांधी अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें। अमेठी जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप सिंघल ने यह दावा भी किया है कि राहुल गांधी अमेठी से ही चुनाव लड़ेंगे। गौर करने वाली बात यह है कि प्रदीप सिंघल ने ये बात दिल्ली से लौटने के बाद कही है। और उन्होंने ये भी बताया है कि जल्दी ही इस बात की घोषणा भी कर दी जाएगी। 2004 से अमेठी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे राहुल गांधी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में में बीजेपी की स्मृति ईरानी से चुनाव हार गये थे। तब राहुल गांधी दो सीटों से चुनाव लड़े थे। और फिलहाल वह केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद हैं। कुछ महीने पहले ही’मोदी सरनेम’ वाले मानहानि केस मामले में सजा होने पर राहुल गांधी की सांसद की सदस्यता रद्द हो गई थी। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट से सजा पर रोक लगा दिये जाने के बाद राहुल गांधी की सदस्यता फिर से बहाल हो गई।
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बतौर बीजेपी कैंडिडेट स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 2014 के लोकसभा चुनाव में भी अमेठी संसदीय क्षेत्र से चुनौती दी थी। लेकिन तब राहुल गांधी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे। उसी समय से स्मृति ईरानी लगातार कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चैलेंज करती रही हैं। वहीं अब अमेठी में अपने नये घर में गृह प्रवेश के बाद स्मृति ईरानी ने अब नये सिरे से राहुल गांधी को बहस की चुनौती दी है। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की प्रभारी महासचिव रहीं प्रियंका गांधी ने एक नारा दिया था “ लड़की हूं… लड़ सकती हूं” तब प्रियंका गांधी का ये नारा चुनावी समरके दौरान काफी चर्चा का विषय बना रहा। लेकिन चुनाव के नतीजे आये तो कांग्रेस के सिर्फ दो कैंडिडेट ही विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सके थे।
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अमेठी की सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अब राहुल गांधी को एनडीए (NDA) बनाम यूपीए (UPA) के 10 साल के शासन पर बहस करने की खुली चुनौती दे डाली है। महाराष्ट्र के नागपुर में नमो युवा महासम्मेलन के संबोधन के दौरान स्मृति ईरानी ने बड़े ही आवेश में कहा था “ राहुल गांधी मैदान तुम चुनो। कार्यकर्ता हम चुनेंगे। स्मृति ईरानी का यह भी दावा था कि यदि युवा मोर्चा के किसी कार्यकर्ता ने राहुल गांधी के सामने बोलना शुरू कर दिया तो वो बोलना भूल जाएंगे। कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के साथ अमेठी पहुंचे थे। लेकिन उनके अमेठी पहुंचने से पहले ही स्मृति ईरानी ने डेरा डाल दिया था। ऐसा अक्सर देखा जाता है कि जब भी राहुल गांधी के अमेठी जाने का कोई प्रोग्राम रा कार्यक्रम बनता है। तो स्मृति ईरानी खुला मैदान नहीं छोड़तीं। जानकारी के लिए बता दें कि केंद्रीय मंत्री के रूप में विकास कार्यों की समीक्षा के लिए स्मृति ईरानी वायनाड तक जा चुकी हैं। तब स्मृति ईरानी ने कहा था कि मैं राहुल गांधी को चुनौती देती हूं। वो केवल अमेठी सीट से चुनाव लड़कर दिखायें।
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राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वायनाड से सीपीआई (CPI) ने डी राजा की पत्नी एनी राजा को कैंडिडेट बनाया है। वहीं एनी राजा का कहना है कि राहुल गांधी को किसी और जगह से चुनाव लड़ना चाहिये। क्योंकि उनका मकसद बीजेपी को हराने का होना चाहिये। ताजा जानकारी तो यही है कि राहुल गांधी लोकसभा चुनाव 2024 में अमेठी के साथ साथ वायनाड सीट से भी लड़ सकते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशियों की लिस्ट आने के संकेत तो ऐसे ही मिल रहे हैं । और ये भी तय है कि यदि राहुल गांधी को चुनाव लड़ना होगा तो उनका नाम पहली ही सूची में होगा।
2019 की अमेठी में चुनावी हार के बाद राहुल गांधी का गुस्सा और दुखी होना स्वाभाविक बात था। जिस माहौल में राहुल गांधी पले बढ़े हैं। और जैसी उनकी परविरश रही है। ऐसी बातें सोच पाना भी मुश्किल होता है। बर्दाश्त करना तो दूर की ही बात होती है। लेकिन यह पीड़ा बर्दाश्त तो राहुल गांदी की दादी इंदिरा गांधी को भी करना पड़ा था। 1977 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी नेता राज नारायण ने रायबरेली सीट पर इंदिरा गांधी को शिकस्त दे डाली थी। हालांकि उस समय अगले ही चुनाव में इंदिरा गांधी फिर से चुनाव जीत कर रायबरेली सीट पर काबिज हो गई थीं। अब सवाल यह उठता है कि क्या राहुल गांधी भी अपनी दादी इंदिरा गांधी के नक्शे कदम पर चलेंगे?