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अमेठी में राहुल गांधी Vs स्मृति ईरानी, क्या गांधी फैमिली दिखा पाएगी दम? समझें अमेठी का चुनावी गणित

Lok Sabha Election 2024: इस आर्टिकल में हम आपको अमेठी लोकसभा सीट की चुनावी समीकरण के बारे में बताएंगे। साथ ही राहुल और स्मृति के अमेठी पहुंचने के पीछे का कारण भी समझेंगे।
 

अमेठीFeb 20, 2024 / 04:40 pm

Aniket Gupta

Lok Sabha Election 2024

Lok Sabha Election 2024: गांधी फैमिली का गढ़ माना जाने वाला अमेठी एक बार फिर लोकसभा चुनाव करीब आते ही चर्चे में आ गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस को हार मिली थी। लेकिन, इस बार जिस तरह राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा अमेठी में दिखी और राहुल गांधी जितना समय अमेठी में दे रहे हैं, उससे यही लगता है कि कांग्रेस अब एक बार फिर अपने इस चुनावी किले को लेकर गंभीर है। कल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी अमेठी सीट को लेकर ऐसी बात कही जिससे यह लग रहा है कि इस बार गांधी परिवार का कोई सदस्य इस सीट से चुनाव लड़ सकता है। बीते दिन राहुल की यात्रा में शामिल भीड़ ने कांग्रेस को एक बार फिर अमेठी सीट (Amethi Seat) के लिए उत्साहित कर दिया है। हालांकि, यात्रा के दौरान कांग्रेस और बीजेपी कार्यकर्ता एक समय के लिए आमने-सामने आ गए थे। भाजपा कार्यकर्ताओं (BJP Workers) ने राहुल गांधी गो बैक के नारे भी लगाए, जिसके बाद माहौल शांत करने के लिए अमेठी पुलिस को सामने आना पडा़ था। भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyaya Yatra) में जुटी भीड़ को देखकर ऐसा माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। अमेठी से वर्तमान लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने बीते दिन राहुल गांधी को चैलेंज करते हुए कहा कि दम है तो अमेठी से चुनाव लड़कर दिखाएं।
बीते दिन अमेठी लोकसभा सीट (Lok Sabha Seat Amethi) का माहौल काफी अलग था। देश की राजनीति के दो सक्रिय नेता एक साथ एक ही दिन अमेठी पहुंचे थे। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा अमेठी में प्रवेश कर रही थी और दुसरी तरफ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अपने चार दिवसीय दौरे को लेकर अमेठी पहुंची हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अमेठी में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान लोग राहुल गांधी की एक झलक पाने के लिए सड़कों पर भीड़ इक्कठी हो गई थी। राहुल का यात्रा में लगभग 50 कारों का उनका काफिला बीते दिन अमेठी के ककवा रोड, सगरा तिराहा, रायपुर फुलवारी और गौरीगंज से होते हुए बाबूगंज की ओर गई।
राहुल ने बहुत ही होशियारी के साथ लोकल मुद्दों को छोड़ जाति जनगणना पर बात की। उन्होंने दलितों और पिछड़ों को लेकर चर्चा की। कल अपने भाषण में राहुल गांधी ने कहा कि इस यात्रा के दौरान हम बहुत सारे लोगों से मिले जिनमें किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी भी शामिल थें। उनलोगों ने हमसे बेरोजगारी, महंगाई और जीएसटी को लेकर शिकायत की। आगे राहुल ने अमेठी से अपने पुराने रिश्ते की बात करते हुए कहा कि मैं अमेठी आया हूं और आपने प्यार से मेरा स्वागत किया है। मैं आप सभी को दिल से धन्यवाद देता हूं।
वहीं दूसरी तरफ अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी भी मोर्चा संभाले दिखीं। उन्होंने राहुल गांधी अपने खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ने की चुनौती भी दी। स्मृति ईरानी ने दावा करते हुए कहा कि राहुल गांधी की इस यात्रा के लिए भी प्रतापगढ़ और सुल्तानपुर से लोग लाने पड़े हैं। स्मृति ने कहा कि अगर वे आश्‍वस्‍त हैं, तो वायनाड जाए बिना अमेठी से चुनाव लड़कर दिखाएं। अब स्मृति इरानी की बात करें तो इनके साथ एक प्लस पॉइंट यह भी है कि अमेठी की सांसद होने के नाते वह लगातार क्षेत्र की जनता के टच में हैं। औसतन हर महीने उनका अमेठी आना होता है। वहीं दुसरी तरफ राहुल गांधी 2019 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha election 2019) हारने के बाद सिर्फ 3 बार ही अमेठी आए हैं। बता दें, 22 फरवरी को स्मृति अमेठी स्थित अपने नए घर में गृह प्रवेश करने वाली हैं।
कल अमेठी में जिस तरह कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा दिखा उससे यह तो साफ होता है कि गांधी परिवार के पास आगामी लोकसभा चुनाव (Lok sabha election 2024) को लेकर अमेठी सीट पर कोई न कोई बड़ा प्लान तो जरूर है। बीते दिन भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, जयराम रमेश आदि मौजूद थेें। जानकारी के अनुसार, प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव के भी आने की चर्चा थी। जब जयराम रमेश से यह पूछा गया कि क्या राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे? इसपर जवाब देते हुए जयराम ने कहा कि यहां से चुनाव कौन लड़ेगा इसका फैसला सीईसी करेगा पर उन्होंने राहुल गांधी के चुनाव न लड़ने की बात से इनकार नहीं किया। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इससे भी बड़ी बात यह है कि यदि राहुल की जगह उनकी बहन प्रियंका गांधी को अमेठी से चुनावी मैदान में उतारा जाए तो कांटें की टक्कर जैसी स्थिति बन सकती है लेकिन ऐसा तब संभव है जब समाजवादी पार्टी अमेठी से अपना कोई उम्‍मीदवार न उतारे। कल यदि यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ अगर प्रियंका भी आई होतीं तो एक बार ऐसी संभावनाओं को बल भी मिलता पर ऐसा नहीं हुआ।
अमेठी के चुनावी गणित की बात करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी को कुल 4 लाख 68 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। जबकि राहुल के खाते में 4 लाख 13 हजार वोट आए थे। और करीब 55 हजार वोटों से स्मृति ने राहुल गांधी को अमेठी की सीट पर पटकनी दी थी। 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और मायावती की बसपा से समर्थन मिलने के बाद भी कांग्रेस अमेठी लोकसभा सीट हार गई थी। और अब तक की चुनावी हलचल को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियां उनके साथ नहीं रहने वाली हैं। विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2017 और 2022 में भी अमेठी में कांग्रेस को हार मिली थी। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार पिछली गलतियों को न दोहराते हुए कांग्रेस चाहेगी कि विपक्षी एकजुटता INDIA का सामंजस्‍य पूरे प्रदेश में कमजोर हो पर कम से कम अमेठी और रायबरेली सीट में कोई दूसरी पार्टी कांग्रेस का वोट न काटे।
वहीं अमेठी की जातीय गणित भी कांग्रेस के पक्ष में नहीं है। जानकारी के अनुसार, यहां करीब 26 प्रतिशत वोटर्स दलित हैं। पिछले चुनाव में बसपा के समर्थन के बावजूद राहुल गांधी को दलितों का खासा समर्थन देखने को नहीं मिला था। जाहिर है कि इस बार अमेठी से बसपा अपना प्रत्याशी उतार सकती है। और नतीजतन कांग्रेस के वोट और कम हो सकते हैं। 26 प्रतिशत दलित के अलावा यहां 18 प्रतिशत ब्राह्मण और 11 प्रतिशत राजपूत वोटर्स हैं, जो भाजपा के पाले में बताए जाते हैं। इनके अलावा 10 प्रतिशत लोध और कुर्मी भी हैं जो बीजेपी के कोर वोटर्स बन चुके हैं। वहीं करीब 20 प्रतिशत मुस्लिम वोट भी है। इसमें अगर सपा अपने उम्मीदवार नहीं उतारती है तो यहां कांग्रेस को मदद मिल सकती है।

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