अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि ये माता-पिता आज से तकरीबन 1,00,000 से 2,00,000 साल के बीच रहा करते थे, जिससे दुनियाभर में इंसानी सभ्यता फली-फूली। वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन को साबित करने के लिए मानव की एक लाख प्रजातियों समेत करीब 50 लाख पशुओं के आनुवंशिक बार कोड खंगाल डाले। वैज्ञानिकों ने अध्ययन के नतीजों में पाया कि एक प्राकृतिक महाविनाश में मानव की पूरी सभ्यता तकरीबन नष्ट हो गई थी, जिसके बाद दुनिया में फिर एक ही माता-पिता से इंसानों का विकास हुआ।
वैज्ञानिकों ने इसके लिए सर्वे में शामिल जीवों में हमारी पीढिय़ों के विकास को तय करने वाले डीएनए के कतरन यानी बार कोड का अध्ययन किया। इसमें पाया कि हर दस में से नौ जीवों का विकास एक ही माता-पिता से हुआ था। इसमें कहा गया है कि सभी जीवों की प्रजातियों में 90 फीसदी जीव आज भी जीवित हैं। यह अध्ययन अमरीका में न्यूयॉर्क स्थित रॉकफेलर यूनिवर्सिटी और स्विट्जरलैंड की बेसल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। अध्ययन रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क स्टोकल और बेसल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड थॉलर नाम के दो वैज्ञानिकों की अगुवाई में किया गया। यह अध्ययन मैगजीन ‘ह्मूमन रिवॉल्यूशनÓ में प्रकाशित हुआ है।
डायनासोर युग में जरूरत पड़ी इंसानों की
अध्ययन के मुताबिक, जब एक बार मानव सभ्यता नष्ट हो गई तो दोबारा ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि 6.5 करोड़ साल पहले डायनासोर युग के बाद फिर से मानवों का विकास हुआ। नतीजों में यह कहा गया है कि दरअसल यह मानव के स्वाभाविक विकास की प्रक्रिया के चलते हुआ होगा।
अध्ययन के मुताबिक, जब एक बार मानव सभ्यता नष्ट हो गई तो दोबारा ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि 6.5 करोड़ साल पहले डायनासोर युग के बाद फिर से मानवों का विकास हुआ। नतीजों में यह कहा गया है कि दरअसल यह मानव के स्वाभाविक विकास की प्रक्रिया के चलते हुआ होगा।
डॉर्विन के विकासवाद का व्यापक अध्ययन
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के डॉर्विन के विकास के सिद्धांत का व्यापक अध्ययन किया। उन्होंने दुनियाभर में आनुवंशिकी से संबंधित आंकड़ों और इसके नतीजों की जांच की।
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के डॉर्विन के विकास के सिद्धांत का व्यापक अध्ययन किया। उन्होंने दुनियाभर में आनुवंशिकी से संबंधित आंकड़ों और इसके नतीजों की जांच की।