वल्कायरी को ऐसे इलाकों में काम करने के लिए बनाया गया है, जहां इंसान के लिए हालात विकट हैं। ह्यूमेनॉयड रोबोट शारीरिक रूप से इंसानों जैसे होते हैं। नासा के इंजीनियरों का मानना है कि सही सॉफ्टवेयर की मदद से एक दिन ह्यूमेनॉयड रोबोट इंसानों की तरह काम करने लगेंगे। ये औजारों और उपकरणों का उसी तरह इस्तेमाल कर पाएंगे, जैसे इंसान करते हैं। नासा ऐसे और रोबोट तैयार करने के लिए कई रोबोटिक कंपनियों से साझेदारी कर रही है।
…ताकि वैज्ञानिक जरूरी कामों पर दें ध्यान नासा की रोबोटिक्स टीम के प्रमुख शॉन आजमी का कहना है कि अंतरिक्ष में ह्यूमेनॉयड रोबोट ऐसे काम संभाल सकते हैं, जो इंसानों के लिए खतरनाक होते हैं। मसलन सोलर पैनल साफ करना या अंतरिक्ष यान के बाहर किसी उपकरण में खराबी आने पर उसकी जांच और मरम्मत करना। भविष्य में अगर ऐसे काम रोबोट संभाल लेते हैं तो वैज्ञानिक दूसरे जरूरी कामों (खोज और अनुसंधान) पर ज्यादा ध्यान लगा पाएंगे।
रोज 22 घंटे काम करेगा ‘अपोलो’ नासा का सहयोग कर रही अमरीकी कंपनी एप्ट्रोनिक भी ‘अपोलो’ नाम का रोबोट विकसित करने में जुटी है। यह रोबोट वेयरहाउस में बक्सों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने और सप्लाई चेन से जुड़े दूसरे काम कर सकेगा। बैटरी से चलने वाले अपोलो रोबोट का सिस्टम इस तरह तैयार किया जा रहा है कि यह रोज 22 घंटे काम करे।