इस बीच वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को लेकर एक और बड़ी खबर सामने आई है। एक नए खुलासे के तहत नवंबर 2019 में इस लैब में काम करने वाले तीन रिसर्चर्स इतने बीमार हो गए थे, जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा था।
बड़ी बात यह है कि उस समय पूरी दुनिया कोविड-19 के नाम तक से अनजान थी। ऐसे में ये खुलासा इस बात की ओर ही संकेत दे रहा है कि वुहान ही कोरोना वायरस की उत्तपत्ति का केंद्र है।
यह भी पढ़ेँः अब हफ्ते में तीन दिन सीधे सेंटर पर जाकर लगवा सकेंगे कोरोना वैक्सीन, इस राज्य में वैक्सीनेशन को लेकर हुआ बड़ा बदलाव कोरोना महामारी ने पिछले करीब डेढ़ साल से दुनिया में तबाही मचाई हुई है, उसकी शुरुआत को लेकर अभी भी विवाद ही रहता है। दुनिया चीन को जिम्मेदार मानती है, लेकिन चीन इससे इनकार करता है।
इस बीच अब एक नई जानकारी सामने आई है, वुहान की जिस लैब में कोरोना वायरस की शुरुआत बताई जाती है, वहां के तीन कर्मचारी को तब अस्पताल में भर्ती कराया गया था जब दुनिया को कोरोना के बारे में पता नहीं था।
ये खुलासा वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अब कोरोना के जन्म की जांच की ओर नया कदम बढ़ा रहा है, ऐसे में वुहान लैब के तीन स्टाफ के अस्पताल जाने की जानकारी आना जांच में सहायता कर सकता है।
ये रिपोर्ट में दावा
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नवंबर 2019 में वुहान लैब की तीन कर्मचारी बीमार पड़ गए थे, उनमें कोरोना वायरस जैसे ही लक्षण थे, जिन्हें बाद में अस्पताल में ले जाया गया था।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नवंबर 2019 में वुहान लैब की तीन कर्मचारी बीमार पड़ गए थे, उनमें कोरोना वायरस जैसे ही लक्षण थे, जिन्हें बाद में अस्पताल में ले जाया गया था।
यह भी पढ़ेंः चीन में येलो नदी के पास खराब मौसम के चलते बड़ा हादसा, 21 धावकों की मौत आपको बता दें कि नवंबर 2019 के बाद ही दिसंबर-जनवरी के बीच दुनिया को कोरोना वायरस महामारी के बारे में पता लगा था। इस रिपोर्ट को अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के आखिरी दिनों में स्टेट डिपार्टमेंट फैक्ट शीट में जारी किया गया था।
आपको बता दें कि दुनिया के कई शीर्ष महामारी विज्ञानियों और वायरोलॉजिस्टों का मानना है कि कोविड-19 महामारी का कारण SARS-CoV-2 का जन्म नवंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से हुआ। वहीं चीन इस आरोप को खारिज करता आया है। उसका कहना है कि इस वायरस का पहला पुष्ट मामला 8 दिसंबर 2019 को आया था, जब एक व्यक्ति के अंदर यह वायरस पाया गया।