मौसम वैज्ञानिक एसके मंडल ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में सक्रिय उपरी हवा के चक्रीय परिसंचरण से भारी मात्रा में नमी का प्रवेश उत्तरी छत्तीसगढ़ में जारी है। वहीं अरब सागर में सक्रिय चक्रवात बना हुआ है। इन दोनों प्रभाव के कारण उत्तरी छत्तीसगढ़ में इसका असर देखा जा रहा है।
रविवार की सुबह से ही मौसम का मिजाज बदला हुआ है। सुबह अंबिकापुर सहित कई क्षेत्रों में घने बादल व तेज हवा चलने से मौसम शुष्क रहा। सुबह-सुबह बूंदाबादी हुई। इसके बाद धूप भी निकली।
इसके बाद पुन: दोपहर में अचानक मौसम ने करवट ली और तेज हवा के साथ बारिश हुई। इसके बाद मौसम का लुकाछिपी का खेल चलता रहा। पुन: चार बजे के बाद तेज हवा के साथ बारिश हुई। बारिश व शुष्क हवा के कारण मौसम में ठंडक बनी रही।
बार-बार बदल रहा मौसम
मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के बार-बार सक्रिय रहने के कारण मौसम में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में तापमान में वृद्धि दर्ज की जा रही थी। वहीं 9 फरवरी को शुष्क हवा का प्रवेश होने के कारण न्यूनतम तापमान 4 डिग्री पहुंच गया था। 10 फरवारी को तापमान में हल्की वृद्धि दर्ज की गई थी।
इसके साथ ही शनिवार की देर रात से आसमान में बादल की सक्रियता के कारण न्यूनतम तापमान 11 डिग्री पहुंच गया था। वहीं रविवार की सुबह से ही मौसम का मिजाज बदला रहा। बेमौसम बारिश व मैनपाट में ओलावृष्टि के कारण ठंड ने पुन: करवट ले ली है।
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10 मिनट तक गिरे ओले
अंबिकापुर सहित उत्तरी छत्तीसगढ़ में मौसम का मिजाज बदला हुआ है। रविवार को कई जगहों पर तेज हवा के साथ बारिश हुई। वहीं दोपहर करीब 2 बजे मैनपाट के क्षेत्रों में लगभग 10 मिनट तक ओलावृष्टि होने से बर्फ की सफेद चादर बिछ गई। मौसम विभाग के अनुसार अंबिकापुर में शाम 5.30 बजे तक 3.8 मिली मीटर बारिश दर्ज की गई है।
फसलों को पहुंचा भारी नुकसान
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि की वजह से सबसे अधिक नुकसान किसानों को हुआ है। ओलावृष्टि व बारिश के कारण सब्जियों, तिलहन व दलहन की फसलों को नुकसान पहुंचा है। बारिश के कारण फल व फूल में कीड़े लग जाएंगे।
ओलावृष्टि चना, मटर व अरहर की फसल के लिए काफी नुकसानदेह है। अगर लगातार बारिश होती रही व मौसम में नमी बनी रही तो मटर व चना में गलन की संभावना बढ़ जाएगी। ओलावृष्टि की वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।