मोहन भागवत ने स्वागत व प्रणाम के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि अंबिकापुर की धरती पर दूसरी बार संघ का कोई बड़ा पदाधिकारी आया है। उन्होंने कहा कि हम घर पर किसी भी देवी-देवता की पूजा करते हो, किसी भी धर्म के हों, लेकिन जब देश पर संकट आता है तो हम एक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने धर्म के साथ ही दूसरे के धर्म का ही उतना ही आदर करना चाहिए।
समाज के लिए जितना संभव हो करने की कोशिश करनी चाहिए। अपने बच्चों में दान देने की आदत डालें। यदि आप दान करते हैं तो यह कोशिश करें कि बच्चों के हाथ से ही दिलवाएं, ताकि बच्चे आगे भी इसे कायम रख सकें। बच्चों को संस्कार सिखाएं। हमें हमारी संस्कृति को जीना है।
मंच पर मोहन भागवत के साथ संघ के प्रांतीय पदाधिकारी भी मौजूद थे। कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री व सरगुजा सांसद रेणुका सिंह, पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा समेत अन्य दिग्गज नेता शामिल हुए।
शाखा में नहीं पूछा जाता धर्म
मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने कहा कि देश में स्वयं सेवकों की संख्या बढ़ी है। देश में चलने वाला यह संघ अनोखा है। संघ को जानने के लिए किसी बात से तुलना नहीं कर सकते। यदि इसे जानना है तो संघ में आकर इसकी महानता को समझें। संघ की शाखा में किसी की जात-पात नहीं पूछी जाती।
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शाखा में नहीं पूछा जाता धर्म
मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने कहा कि देश में स्वयं सेवकों की संख्या बढ़ी है। देश में चलने वाला यह संघ अनोखा है। संघ को जानने के लिए किसी बात से तुलना नहीं कर सकते। यदि इसे जानना है तो संघ में आकर इसकी महानता को समझें। संघ की शाखा में किसी की जात-पात नहीं पूछी जाती।
हर कोई यहां आए और अपना 1 घंटे का समय दें। राष्ट्र निर्माण में अपना समय दें। उन्होंने कहा कि संघ कोई पैरामिलीट्री नहीं है, यह परंपरा की कला है। यहां व्यायाम, संगीत, कबड्डी सहित अन्य आयोजन होते रहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह कोई क्लब है।