पहले दिन कथा वाचन करते हुए रमेश भाई ओझा ने कहा कि हमारे समाज में भले ही पुरुष के गृहस्थ त्याग को अहम स्थान दिया गया है, मगर एक स्त्री जो विवाह के बाद अपना घर त्याग कर पति के गृहस्थ को जिस निष्ठा से संभालती है वह पुरुष के त्याग से कहीं ज्यादा बड़ा और समाज के सशक्त निर्माण का श्रोत है।
पुरुष सन्यास लेकर त्याग करता है, महिला विवाह के बाद गृहस्थ में रहते हुए निरंतर तप करती है। उन्होंने कहा कि कथा सुनने से पहले आवश्यक है कि कथा के मूल आधार और इसके संकल्प को समझ लें। उन्होंने कहा कि संकल्प समर्पण के भाव से होता है।
उन्होंने कहा कि एक स्त्री का तप और त्याग उसी दिन से शुरु हो जाता है जब वह विवाह कर पराए घर और उसके गोत्र को वैसे ही अपना लेती है, जैसे एक सन्यासी गृहस्थ छोडऩे के बाद अपना घर और गोत्र छोड़ देता है। स्त्री विवाह के बाद समाज के नवनिर्माण के लिए अपना योगदान देना शुरु करती है।
यह त्याग नहीं कठिन तपस्या है जो किसी पुरुष के बूते संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि एक पुत्र के जन्म से मां का भी जन्म होता है, वहीं बहु के आने से ही किसी स्त्री को सास का दर्जा मिलता है। अगर घर में पति, बेटा और सास अपने निर्माण के प्रतीक स्त्री का वैसा ही सम्मान करें जैसा खुद चाहते हैं तो गृहस्थ खुशहाल और सुदृढ़ होगा।
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खाद्य मंत्री ने किया स्वागत
कथावाचन के पूर्व आयोजक सूरजपुर व सरगुजा के माननेहरू परिवार ने शहर में भव्य कलश यात्रा राम मंदिर से निकाली गई। नगर के मुख्य मार्गों से होते यह यात्रा कलाकेन्द्र मैदान पहुंची, जहां कलश स्थापना के साथ श्रीमद भगवत ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ शुरू हुआ।
इस अवसर पर दीप प्रज्जवलन के लिए खाद्यमंत्री अमरजीत भगत, बीस सूत्रीय क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष अजय अग्रवाल, गौ सेवा आयोग के सदस्य अटल यादव के साथ आयोजक परिवार ने दीप प्रज्जवलन किया। यह कथा प्रतिदिन दोपहर 3 से 5 बजे तक 24 सितंबर तक चलेगी।
सरगुजा में पहली बार पधारे कथावाचक रमेश भाई ओझा को राज्य सरकार ने राजकीय अतिथि का दर्जा दिया। राज्य सरकार की ओर से खाद्यमंत्री अमरजीत भगत ने कथा स्थल पहुंचकर उनका स्वागत किया।