दरअसल रेलवे द्वारा अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन व बरवाडीह रेल मार्ग की फाइनल लोकेशन सर्वे रिपोर्ट में आर्थिक से लेकर तमाम मानकों की एक जानकारी (Railway latest news) सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध कराई गई है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार रेणुकूट रेल लाइन का एफआईआरआर (फाइनेंशियल इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न) लगभग साढ़े पांच प्रतिशत है, वहीं बरवाडीह का माइनस में है।
बरवाडीह रेल लाइन का इकोनॉमिकल इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न 3.81 प्रतिशत है, जबकि रेणुकूट का 19.5 प्रतिशत है जो रेल लाइन के लिए आदर्श स्थिति है। 14 प्रतिशत से अधिक ईआईआरआर को रेलवे के मानक के अनुसार अच्छा माना जाता है। सर्वे (Railway latest news) में यह भी उल्लेख है कि यदि भविष्य में अम्बिकापुर-रेणुकूट रेलमार्ग में कोल परिवहन होता है तो एफआईआरआर जो 5.51 प्रतिशत है वह 15 प्रतिशत से अधिक होगा।
वहीं अम्बिकापुर बरवाडीह लाइन (Railway latest news) से सरकार को हर वर्ष कुल खर्च का .0.52 प्रतिशत हानि होगा, जबकि अम्बिकापुर-रेणुकूट रेल मार्ग में लगभग 15 प्रतिशत का लाभ हो सकता है। अब आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो बरवाडीह मार्ग पूरी तरह से अलाभकारी नजर आता है।
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यही वजह है कि आजादी के बाद से इस मार्ग को लेकर कई सर्वे हुए और किसी भी सरकार के कार्यकाल में इसे मंजूरी नहीं मिल सकी है। इसकी तुलना में अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन आर्थिक से लेकर रेलवे के तमाम मानकों पर खरे उतरते हुए फायदेमंद साबित हो रही है। यह जानकारी सामने आने के बाद शहर सहित जिलेवासियों का कहना है कि इसी रेल मार्ग को मंजूरी दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।
‘सरगुजा अंचल की महत्वपूर्ण मांग’
क्षेत्री रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति के सदस्य मुकेश तिवारी ने कहा कि विधानसभा के मॉनसून सत्र में अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन का संकल्प पारित होने के बाद सरगुजा अंचल की यह मांग प्रदेश की सर्वोच्च रेल प्राथमिकताओं में से एक है। हाल में ही अंबिकापुर कोरबा रेल लाइन का फाइनल लोकेशन सर्वे स्वीकृति के साथ सर्वे के लिए बजट आवंटन भी हुआ है। अंबिकापुर रेणुकूट लाइन जब निकट भविष्य में कोरबा से जुड़ जाएगा, जिसकी प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है, तो संभाग मुख्यालय से प्रदेश की राजधानी तक 6 घंटे में और देश की राजधानी 13 घंटे में रेल मार्ग से जाना संभव हो पाएगा।
इससे हमारे संभाग के लाखों लाख लोग लाभान्वित होंगे। बाबा विश्वनाथ से जगन्नाथ पुरी तक प्रदेश के राम वन गमन मार्ग होता हुआ यह महत्वपूर्ण धार्मिक कॉरिडोर भी बनेगा।
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