दरअसल मंगलवार को शहर के केदारपुर स्कूल में कक्षा 9वीं की छात्राओं को साइकिल वितरण किया गया। अतिथियों द्वारा फोटो खिंचाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली गई, लेकिन वे यह नहीं देख पाए कि साइकिल की हालत कैसी है। साइकिल चलने लायक भी है या नहीं।
नई साइकिल मिलने पर छात्राओं के चेहरे पर थोड़ी देर के लिए मुस्कान तो दिखी पर उसे घर ले जाने में उन्हें काफी परेशान होना पड़ा। जिले में बैठे शिक्षा विभाग के आला अधिकारी को भी यह सब देखने की फुरसत नहीं है। छात्राओं को जो साइकिल बांटी गई थी, उसमें न तो हवा थी और न ही ब्रेक काम कर रहे थे।
ब्रेक पूरी तरह जाम थे। ऐसे में शाम को छुट्टी के बाद छात्राओं को पैदल घसीटते हुए साइकिल अपने घर तक ले जाना पड़ा। नई साइकिल मिलने के बाद भी छात्राएं इतनी परेशान थीं कि उन्हें साइकिल बोझ लग रहा था। छात्राओं ने बताया कि जितनी भी साइकिलें बांटी गई हैं, उनमें हवा नहीं थीं।
साइकिल को सडक़ पर घसीट कर ले जाती दिखीं छात्राएं
केदारपुर स्कूल से वितरित की गई साइकिल के टायर में न तो हवा थी और न ही बे्रेक काम कर रहे थे। कुल मिलाकर साइकिल चलने की स्थिति में नहीं थी। साइकिल वितरण के बाद उसे घर ले जाने में शहर के झंझटपारा की छात्राओं को काफी परेशान होना पड़ा।
उन्हें स्कूल से करीब 5 किमी तक साइकिलों को घसीटते हुए घर ले जाना पड़ा। इस दौरान छात्राएं पसीने से पूरी तरह तरबतर हो चुकीं थीं। रास्ते में आने-जाने वाले उन्हें साइकिल घसीटते देख रहे थे, इस दौरान वे खुद को अपमानित भी महसूस कर रहीं थीं।
साइकिलें गुणवत्ताविहीन
सरस्वती योजना के तहत वितरित की जा रही साइकिलों की गुणवत्ता ठीक नहीं है। साइकिलों की क्वालिटी काफी खराब होने के कारण चलाने में भी परेशानी होती है। आए दिन साइकिल खराब हो जातीं हैं। इससे छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।