बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के सनावल निवासी संजय जायसवाल (40) को 2 दिन पूर्व चक्कर आने व उल्टी की शिकायत पर परिजन द्वारा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां ईएनटी विभाग के चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने जब उसका सीटी स्कैन कराया और रिपोर्ट देखी तो युवक के सिर के पिछले हिस्से का नस फटने (DJ loud sound) से ब्लड क्लॉटिंग हुई थी।
चिकित्सक ने बताया कि सामान्यत: ऐसा हाई ब्लड प्रेशर, एक्सीडेंट व मारपीट की घटना में होता है, जबकि युवक के परिजन द्वारा उसके साथ ऐसी कोई घटना न होने की बात बताई गई।
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हाई बीपी की भी नहीं थी शिकायत
चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने मरीज से उसके पूर्व दिनचर्या व बीमारी के बारे में पूछा तो उसने ऐसी कोई बीमारी न होने की बात बताई। उसे बीपी की शिकायत भी नहीं थी। अस्पताल में भी उसका बीपी नॉर्मल था। परिजन ने डॉक्टर को बताया कि जिस समय उल्टी व चक्कर (DJ loud sound) आने की शिकायत हुई थी उस समय घर के पास तेज आवाज में डीजे बज रहा था। अब डीजे की तीव्र ध्वनि के कारण युवक को बे्रन हेमरेज होने की संभावना जताई जा रही है। फिलहाल युवक को बेहतर इलाज के लिए रायपुर रेफर कर दिया गया है।
DJ loud sound: बधिरता में 15 प्रतिशत की वृद्धि
डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि 2 माह में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 500 मरीजों का सुनाई देने की क्षमता की जांच की गई, जिसमें 161 मरीजों में सुनाई देने वाली नसों के प्रभावित होने की बात जांच में सामने आई है। वर्तमान में ध्वनि प्रदूषण के कारण बधिरता में 15 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है। सामान्य तौर पर 70 डेसीबल की तीव्रता की ध्वनि मानव शरीर के लिए उपयुक्त रहती है। 85 डेसीबल की ध्वनि तीव्रता लगातार कान में पडऩे से सुनने की क्षमता (DJ loud sound) में स्थायी रूप से कमी कर सकती है। सुनने की क्षमता के साथ स्वभाव में चिड़चिड़ापन, उच्च रक्तचाप, हृदयघात, लकवा, अनिद्रा, भूलने की बीमारी व एलजाइमर्स बीमारी होने की संभावना हो सकती है।
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