कलेक्टर ने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत जिला प्रशासन के सहयोग से संचालित पोषण तुंहर द्वार कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए कहा कि कुपोषित बच्चों व महिलाओं को खिचड़ी व अंडा वितरण की नियमित मॉनिटरिंग करें।
कार्यक्रम शुरू हुए 10 दिन हो गए हैं, इन दस दिनों में महिलाओं के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया, कहां पर कमियां या गैप मिला, इसका आंकलन करें। महिलाओं को बताएं कि खिचड़ी बनाने में किन सामग्रियां की कितनी मात्रा में आवश्यकता होती है और खिचड़ी कुपोषण दूर करने में कैसे सहायक बन सकता है।
उन्होंने कहा कि पोषण तुंहर द्वार कार्यक्रम में शिक्षा विभाग व पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का भी सहयोग लें। उन्होंने बताया कि बच्चों एवं महिलाओं में कुपोषण एवं एनीमिया को दूर करने पोषण तुंहर द्वार कार्यक्रम जिले में संचालित की जा रही है जिसके लिए डीएमएफ मद से 3 करोड़ राशि उपलब्ध कराई गई है। बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी बसन्त मिंज सहित सभी सीडीपीओ व सेक्टर सुपरवाइजर उपस्थित थे।
पहले योजनाओं को खुद जानें
कलेक्टर ने कहा कि विभाग में केंद्र एवं राज्य शासन की अनेक योजनाएं संचालित हंै। सभी योजनाओं के बारे में पहले स्वयं को अच्छी तरह से जानकारी होनी चाहिये तभी हितग्रहियों को अच्छे से बता पाएंगे। इस दौरान उन्होंने कुपोषण की परिभाषा एवं विभिन्न योजनाओं के बारे में पूछा, लेकिन कई सीडीपीओ व सुपरवाइजर नहीं बता पाए।
उन्होंने सभी सीडीपीओ व सुपरवाइजर की ब्लॉक एवं जिला स्तर पर प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए ताकि सभी योजनाओं की पूरी जानकारी हो सके। उन्होंने शहरी क्षेत्र में गांधीनगर तथा ग्रामीण क्षेत्र में लखनपुर, लुण्ड्रा व मैनपाट में कुपोषित बच्चों की संख्या अधिक होने पर कुपोषण प्रतिशत में कमी लाने विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।
बाल विवाह पर लगाएं नियंत्रण
कलेक्टर ने जिले में बाल विवाह रोकथाम की समीक्षा करते हुए मैनपाट क्षेत्र में अधिक अधिक प्रकरण होने पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी को शिविर लगाकर लोगों को जागरूक करने तथा उल्लंघन पर कार्रवाई होने की जानकारी देने कहा। बताया गया कि मैनपाट में मांझी-मंझवार विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों में बाल विवाह के सर्वाधिक प्रकरण मिलते हैं जो अशिक्षा व जागरूकता में कमी के कारण है।