वहीं पिछले वर्ष कुपोषित बच्चों (Malnourished children) का आंकड़ा 10 हजार 953 था। इधर महिला बाल विकास विभाग का दावा किया जा रहा है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कुपोषित बच्चों की संख्या में 0.5 प्रतिशत की कमी आई है। ऐसा इसलिए कि पिछले वर्ष 79 हजार 156 बच्चों का वजन कराया गया था। इसमें 10 हजार 953 बच्चे कुपोषित पाए गए थे।
महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से कुपोषित बच्चों का सर्वे कराया जाता है। वर्ष 2024 में जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केन्द्रों द्वारा 74 हजार 774 बच्चों का वजन कराया गया था। इसमें 11 हजार 175 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं, जो कि 14.6 प्रतिशत है। वहीं वर्ष 2023 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले वर्ष 79 हजार 156 बच्चों का वजन कराया गया था।
इसमें 10 हजार 953 बच्चे कुपोषित पाए गए थे, जो कि 14.1 प्रतिशत था। पिछले वर्ष वजन कराए गए बच्चों की संख्या ज्यादा व इस वर्ष वजन कराए गए बच्चों की संख्या कम होने के कारण कुपोषित प्रतिशत में 0.5 प्रतिशत की कमी आई है। महिला बाल विकास विभाग द्वारा दर्ज आंकड़ों के अनुसार सरगुजा जिले में कुपोषितों की संख्या में कोई विशेष कमी नहीं आ रही है।
जबकि कुपोषण मुक्ति के लिए राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रहीं हंै। इसके लिए सरकार हर वर्ष भारी भरकम बजट खर्च कर रही है। इसके बावजूद भी कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी नहीं आ रही है।
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महिला बाल विकास विभाग में दर्ज आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा 1886 कुपोषित बच्चों की संख्या लखनपुर विकासखंड में है। महिला बाल विकास अधिकारी जेआर प्रधान ने बताया कि लखनपुर ब्लॉक में कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी लाने के लिए विशेष अभियान चलाकर जागरुकता अभियान चलाया जाएगा और आने वाले समय में विशेष डाइट की व्यवस्था की जाएगी। यह भी पढ़ें
कलेक्टर ने पूछा- कुपोषण क्या है? तो एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे कई सीडीपीओ और सुपरवाइजर 2042 बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में
सरगुजा जिले में अभी 11175 बच्चे कुपोषित हैं। इसमें 2042 बच्चे अति कुपोषित श्रेणी में हैं। कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा रेडी टू ईट दिया जाता है। इसके अलावा बच्चे के माता-पिता को पौष्टिक आहार व स्वच्छता के लिए जागरुक भी किया जाता है। यह भी पढ़ें
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कुपोषित बच्चों को रखकर उसे पौष्टिक अहार व रखकर इलाज कराने के लिए जिले में दो स्थान पर व्यवस्था की गई है। जिला अस्पताल में 20 बेड व सीतापुर अस्पताल में 10 बेड का पोषण पुनर्वास केन्द्र संचालित है। वहीं कुपोषित बच्चों की संख्या ज्यादा होने के कारण उन्हें भर्ती होने के लिए इंतजार करना पड़ता है। शासन द्वारा कुपोषित बच्चे व उसकी मां को रहने की व्यवस्था पोषण पुनर्वास केन्द्र में की जाती है। वहीं बच्चे की मां को क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाती है।
0.5 प्रतिशत की आई है कमी
कुपोषित बच्चों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 0.5 प्रतिशत की कमी आई है। आगे भी प्रयास जारी है। वहीं आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से कुपोषित बच्चों को रेडी टू ईट दिया जाता है। पालकों को समझाइश भी दी जाती है।जेआर प्रधान, जिला महिला बाल विकास अधिकारी