शहर के ब्रह्मरोड निवासी व्यवसायी सौरभ अग्रवाल 27 वर्ष व उसके चाचा सुनील अगव्राल 40 की 10 अप्रैल वर्ष 2020 में पुरानी रंजिश को लेकर पड़ोस के ही रहने वाले आकाश गुप्ता और सिद्धार्थ जायसवाल ने गोली मारकर हत्या (Murder to shot dead) कर दी थी। हत्या करने के बाद दोनों के शव को घर के अंदर ही गड्ढा खोदकर दफना दिया था।
दोनों की हत्या करने के बाद पुलिस को गुमराह करने के लिए आरोपियों ने उनके कार को आकाशवाणी चौक के पास छोड़ दिया था। कोतवाली पुलिस मामले की जांच करते हुए सबसे पहले सिद्धार्थ जायसवाल को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो मामले का खुलासा हुआ था।
पुलिस ने मामले में आरोपी आकाश गुप्ता, सिद्धार्थ जायसवाल, सज्जन अग्रवाल और शिव पटेल को गिरफ्तार कर जेल दाखिल कर दिया था। इसके बाद से यह मामला न्यायालय में चल रहा था। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 27 जून को फैसला सुनाया है।
फैसले में मुख्य आरोपी आकाश गुप्ता और सिद्धार्थ जायसवाल को साक्ष्य के आधार पर दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं सज्जन अग्रवाल और शिव पटेल को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।
ये था मामला
ब्रम्हरोड निवासी व्यवसायी सौरभ अग्रवाल 27 वर्ष व सुनील अग्रवाल 40 वर्ष चचेरे भाई थे। दोनों 10 अप्रैल की रात घर से अचानक गायब हो गए थे। उनका मोबाइल स्वीच ऑफ आने लगा था। 11 अप्रैल को परिजनों की सूचना पर पुलिस उनकी खोजबीन में जुट गई, इसी बीच देर शाम दोनों की कार शहर के आकाशवाणी चौक के पास लावारिस हालत में मिली। फिर पुलिस ने उस क्षेत्र के सीसीटीवी फुटेज को चेक किया तो एक कार से निकले युवक की पहचान सिद्धार्थ जायसवाल के रूप में हुई। पुलिस ने जब उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने ब्रम्हरोड निवासी दोनों व्यवसायी के पड़ोसी आकाश गुप्ता का नाम बताया।
जब पुलिस ने आकाश गुप्ता को भी हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की तो उसने 10 अप्रैल की रात ही हत्या करने की बात स्वीकार कर ली। आकाश व उसके कथित ड्राइवर सिद्धार्थ जायसवाल ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या करने के बाद दोनों की लाश आकाश के घर के पीछे पूर्व प्लान के अनुसार खोदे गए गड्ढे में गाड़ दिया था।
व्यवसायी ने खरीदा था मुख्य आरोपी का मकान
सूत्रों का कहना था कि व्यवसायी सौरभ अग्रवाल ने मुख्य आरोपी आकाश गुप्ता का घटना दिवस से 6 माह पहले मकान लगभग 2-3 करोड़ रुपए में खरीदा था। आकाश ने पूरे रुपए भी ले लिए थे। 6 महीने में मकान खाली करने की बात तय हुई थी। 6 महीने पूरे होने पर सौरभ ने मकान खाली करने कहा, इस बात को लेकर कुछ दिन पूर्व दोनों के बीच विवाद हो गया था। विवाद के बाद भी सौरभ व उसके चचेरे भाई सुनील अग्रवाल का आकाश के घर आना-जाना था। वे साथ में बैठकर कैरम भी खेलते थे। विवाद की रंजिश व अपनी प्रोपर्टी बचाने आकाश ने उनकी हत्या का प्लान बना लिया। हत्या के बाद शव को ठिकाने लगाने घटना के 6 दिन पहले से ही अपने घर के पीछे की परछी में गड्ढा खोदना शुरु कर दिया था।
इस काम में उसके कथित ड्राइवर सिद्धार्थ जायसवाल ने सहयोग किया। प्री-प्लान के बाद 10 अप्रैल की रात आकाश गुप्ता ने सौरभ व सुनील को अपने घर बुलाया। इसके बाद शराब पी और गोली मारकर दोनेां की हत्या कर दी। फिर सिद्धार्थ के साथ मिलकर पहले से खोदे गए गड्ढे में दोनों को गाड़ दिया। हत्या के बाद कथित ड्राइवर सिद्धार्थ ने दोनों की अंगूठी व चेन निकाल ली और उनकी इनोवा क्रिस्टा कार आकाशवाणी चौक पर जाकर छोड़ दी थी।