प्रधानाचार्य सतपाल सिंह ने बताया कि 2019 में अलावडा स्कूल में कार्यभार ग्रहण किया तो स्कूल की हालत ठीक नहीं थी। नामांकन भी महज 431 था। स्कूल स्टाफ व भामाशाह की मदद से स्कूल का विकास कराया। कस्बे में शिक्षा के प्रति बच्चों का रुझान कम था। माता-पिता, बच्चों को स्कूल में भेजते भी नहीं थे। उन्होंने घर-घर जाकर बच्चों को शिक्षा के प्रति मोटिवेट किया और अभिभावकों को समझाया कि शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। इसके बाद अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल में भेजना शुरू कर दिया। आज इस स्कूल में 700 से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं और यह स्कूल प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधाएं प्रदान कर रहा है। यह बदलाव स्कूल के प्रधानाचार्य और स्टाफ वे भामाशाह के आर्थिक प्रयासों का नतीजा है।
हो रहा है विकास कार्य पीएम श्रीयोजना के तहत कस्बे के पीएम श्रीराउमावि में विकास कार्य हो रहा है। प्रधानाचार्य ने बताया कि इस योजना से न केवल शिक्षण कार्य में सुधार हो रहा है, बल्कि विद्यालय का ढांचा भी बदल रहा है। इस योजना के तहत विद्यालय में कई विकास कार्य किए जा रहे हैं, जिनमें स्मार्ट क्लास और कंप्यूटर लैब, पौधरोपण, फर्नीचर और अन्य सुविधाएं, साइंस लैब और लाइब्रेरी, खेल के मैदान, ,अन्य विकास कार्य, स्कूल की दीवारों पर पेंटिंग और चित्रकला, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, स्वच्छता और सैनिटेशन की सुविधाएं, विद्यालय में सुरक्षा व गतिविधियों का आयोजन, विद्यालय में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए सुविधाएं, आधुनिक शिक्षा के लिए डिजिटल क्लासरूम, विद्यार्थियों के लिए खेलकूद की सुविधाएं, विद्यालय में हरियाली बढ़ाने के लिए पार्क का निर्माण आदि विकास कार्यों से विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा मिलेगी और उनका भविष्य उज्ज्वल होगा। चारदीवारी को ऊंचा कराया गया। वाद्य यंत्र, विभिन्न धर्मों के प्रतीक चिन्ह, सैन्य प्रतीक चिह्न, नोबेल पुरस्कार, वैज्ञानिक, विश्व विरासत के आकर्षक चित्र स्कूल की दीवारों पर उकेरे गए हैं। स्कूल का भवन आकर्षक बनाया गया है। बच्चों के लिए विशेष गतिविधियों का आयोजन भी किया जाता है। कमरों में पंखे, बैठने के लिए कारपेट, ग्रीन बोर्ड, लेजर प्रिंटर, इन्वर्टर, स्मार्ट टीवी, डाइस और विद्यालय में फव्वारा लगवाया। पढ़ाई के स्तर में सुधार हुआ है।
शिक्षा के प्रति जागरूक करना मेरा दायित्व पीएमश्रीराउमाविअलावड़ा के प्रधानाचार्य सतपाल सिंह का कहना है कि शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना मेरा दायित्व है। ग्रामीण क्षेत्रों में सीनियर स्कूल होने के बाद भी यहां पर 10 किलोमीटर से ज्यादा दूरी से बच्चे पढ़ने आते हैं। यह खुशी की बात है।