इन दिनों ईंदपुर और तिलवाड़ गांव से ही छमता से दोगुनी सवारियां बैठने को मजबूर है। अलावडा कस्बा और आसपास के गांव चौमा, माणकी, गुर्जरपुर आदि की सवारियों सहित अन्य गांवों के यात्रियों को पैर रखने की भी जगह नहीं मिलती, जिससे उन्हें निजी वाहनों से यात्रा करनी पड़ती है। टेंपो, बाइक आदि से रामगढ तक दोगुना किराया देकर यात्रा करनी पड़ती है। दूसरी तरफ मार्ग में आने वाले पूठी गांव की सवारियों के लिए तो रोडवेज बस रुकती ही नहीं। भगवत प्रसाद, रामङ्क्षसह, प्रेमकुमार, रीना, मनीषा, शिवानी सहित स्कूल के बच्चों ने बताया कि पूर्व में टीकरी से अलवर एक फेरा और ईंदपुर से अलवर वाया अलावडा शटल बस चलती थी, जिससे अलावडा और आसपास के गांव के यात्रियों को यात्रा करने में परेशानी नहीं होती थी। यात्रियों को अब केवल एक ही बस के भरोसे यात्रा करनी पड़ती है या फिर प्राइवेट वाहनों में दोगुना किराया खर्च कर गंतव्य तक जाना पड़ता है। कस्बे में प्रतिदिन सुबह 8:30 बजे वाली बस में यह नजारा देखा जा सकता है।
यातायात पुलिस व आरटीओ मौन बसों की छतों और दरवाजे के बाहर तक लटक कर बसों में यात्रियों को सफर करते देखे जा सकता है। आरोप है कि यातायात पुलिस व आरटीओ इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। निजी साधन यात्रियों से मुंह मांगा किराया वसूल रहे हैं। इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से संपर्क का प्रयास किया, लेकिन बात
नहीं हो पाई।