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मेवात में ’टटलूबाजी’ का धंधा… कैसे बना साइबर फ्रॉड का ‘मकड़जाल’?

मोबाइल क्रांति के साथ मेवात में करीब दो दशक पहले यूं शुरू हुआ था ’टटलूबाजी’ का धंधा, लेकिन इंटरनेट क्रांति के साथ-साथ मेवात के ये राजू अब ’जेंटल ठग’ बन चुके हैं।

अलवरNov 29, 2024 / 11:42 am

Rajendra Banjara

साहब…मैं राजू बोल रहा हूं, मजदूरी करता हूं। जेसीबी से खुदाई में सोने की ईंट निकली है। गरीब आदमी हूं, पुलिस से डर लग रहा है। आपको सस्ते दामों में बेच दूंगा। मोबाइल क्रांति के साथ मेवात में करीब दो दशक पहले यूं शुरू हुआ था ’टटलूबाजी’ का धंधा, लेकिन इंटरनेट क्रांति के साथ-साथ मेवात के ये राजू अब ’जेंटल ठग’ बन चुके हैं। सेक्सटॉर्शन से लेकर डिजिटल अरेस्ट सहित अलग-अलग तौर तरीके अपनाकर लोगों से साइबर फ्रॉड कर रहे हैं। इन ’जेंटल ठगों’ के खिलाफ कार्रवाई में पुलिस सहित तमाम सुरक्षा एजेंसियों तक का माथा चकराया हुआ है।
मोबाइल युग की शुरुआत के साथ ही मेवात क्षेत्र में ठगी का धंधा पनप गया। यहां के ठग अपने मोबाइल से कोई भी नंबर मिला देते थे। कॉल अटेंड होने पर खुद को गरीब मजदूर बताते हुए सामने वाले व्यक्ति को कहते उसे जेसीबी से खुदाई सोने की ईंट, बिस्किट या मोहर-अशरफी मिली हैं। जिन्हें वह बेचना चाहता है। ये ठग खुद को गरीब और सीधा-साधा दर्शाते हुए लोगों को अपने जाल में फंसाते।

कम पढ़ें-लिखे साइबर ठग एजेंसियों के लिए बन रहे चुनौती

मेवात के साइबर ठग कम पढ़े-लिखे हैं, लेकिन अपने शातिर दिमाग से अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखों को साइबर ठगी के जाल में फांस रहे हैं। ये शातिर ठग मेवात के गांव-ढाणियों में झोंपड़ी, खेत या जंगल में साइबर ठगी का कॉल सेंटर चला रहे हैं, लेकिन खुद को तेजी अपग्रेड भी कर लिया है। अब पुलिस, सीबीआई या टेलीकॉम रेगूलेटरी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के अधिकारी बन लोगों को वाट्स-ऐप वॉइस या वीडियो कॉल कर डिजिटल अरेस्ट कर रहे हैं। उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग या फिर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का डर दिखा हैं। उनके मोबाइल पर फर्जी गिरफ्तारी वारंट आदि की फोटो भेज रहे हैं तथा वीडियो कॉल पर फर्जी पुलिस थाना आदि दिखाकर साइबर ठगी कर रहे हैं।

ऐसे लेते थे झांसे में

जब कोई व्यक्ति सस्ते सोने के लालच में आता तो उसे सैंपल के रूप में असली सोने का टुकड़ा काटकर देते, ताकि विश्वास जम जाए। इसके बाद जब खरीदार आता तो उसे नकली सोने (पीतल) की ईंट, बिस्किट व मोहर- अशरफी थमा रुपए ठग लेते थे। फिर ठग लोगों को सस्ते सोने का लालच देकर बुलाते और बंधक बना ठगी करने लगे।

इंटरनेट क्रांति के साथ बदला ठगी का ट्रेंड

इंटरनेट क्रांति का दौर शुरू होते ही ठगों ने खुद का अपग्रेड कर लिया। फिर वे बैंक अधिकारी बन बैंक केवाईसी, एटीएम, पेटीएम, क्रेडिट कार्ड अपडेट करने का झांसा देकर लोगों के खातों से ऑनलाइन फ्रॉड करने लगे। इसके साथ ही ओएलएक्स पर स्क्रैप, व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक सामान व फर्नीचर आदि बेचने का झांसा देने लगे और लोगों से साइबर फ्रॉड करते रहे। पुलिस की सख्ती हुई तो ठगों ने अपना ट्रेंड फिर बदल दिया। लोगों को फेसबुक, इंस्टाग्राम व व्हाट्सऐप के जरिए सेक्सटॉर्शन और हनी ट्रैप के जाल में फंसाकर ब्लैकमेल कर रुपए ऐंठने लगे। साथ ही लोगों की फेसबुक और वाट्सऐप अकाउंट हैक कर साइबर ठगी करने लगे।

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