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मुनाफे के लिए चीर-फाड़… हर दूसरी गर्भवती का सिजेरियन प्रसव

मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में निजी अस्पताल गर्भवती महिलाओं का पेट चीरने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि बढ़ते सिजेरियन प्रसव के आंकड़े बयां कर रहे हैं। जिले में इस साल अप्रेल से जुलाई कुल 10 हजार 919 संस्थागत प्रसव हुए। स्वास्थ्य विभाग के पीटीएस पोर्टल के अनुसार इस अवधि में निजी चिकित्सा संस्थानों में 2153 प्रसव कराए गए। इसमें 1305 सिजेरियन प्रसव शामिल हैं।

अलवरSep 11, 2024 / 04:52 pm

Umesh Sharma

अलवर.
मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में निजी अस्पताल गर्भवती महिलाओं का पेट चीरने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि बढ़ते सिजेरियन प्रसव के आंकड़े बयां कर रहे हैं। जिले में इस साल अप्रेल से जुलाई कुल 10 हजार 919 संस्थागत प्रसव हुए। स्वास्थ्य विभाग के पीटीएस पोर्टल के अनुसार इस अवधि में निजी चिकित्सा संस्थानों में 2153 प्रसव कराए गए। इसमें 1305 सिजेरियन प्रसव शामिल हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर दूसरी महिला के ऑपरेशन से बच्चा हो रहा है। वहीं, इस अवधि में सरकारी अस्पतालों में करीब 9 हजार प्रसव हुए। जिसमें ऑपरेशन से केवल एक हजार प्रसव कराए गए हैं।

रिस्क बताकर करते हैं ऑपरेशन

प्रसूता और उसके परिजनों को नॉर्मल प्रसव में रिस्क बताकर डरा दिया जाता है। जिसके बाद वह ऑपरेशन के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके बाद अस्पताल की सुविधाओं और प्रसूता की आर्थिक स्थिति के अनुसार उसके प्रसव का खर्चा तय कर दिया जाता है। जानकारी के अनुसार निजी अस्पतालों में प्रसव के 40 से 50 हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। जबकि सामान्य प्रसवत में यह खर्च 10 हजार से भी कम है।

सरकारी में भी गाइडलाइन की पालना नहीं

नियमानुसार विशेष परिस्थिति में मरीज की जान बचाने के लिए ही सिजेरियन प्रसव किया जा सकता है। इसके बाद भी अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव की संख्या तेजी बढ़ रही है। इसमें सरकारी की तुलना में निजी अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव अधिक हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार अलवर जिले में दो सरकारी अस्पतालों में ही सिजेरियन प्रसव की सुविधा है। इसमें राजकीय महिला चिकित्सालय में प्रतिदिन करीब 35 से 40 प्रसव होते हैं। इसमें करीब 8 से 10 सिजेरियन प्रसव शामिल हैं। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, राजगढ़ में अभी हाल ही में सिजेरियन प्रसव की सुविधा शुरू की गई है। यहां अभी तक केवल एक सिजेरियन प्रसव कराया गया है। वहीं, निजी अस्पतालों में मुनाफे के फेर में हर दूसरी महिला का सिजेरियन प्रसव कराया जा रहा है।
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आंकड़े डराने वाले हैं

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े भी डराने वाले हैं। शहरी क्षेत्रों में सिजेरियन के जरिए बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं की तादाद 33 फीसदी तक है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 19 प्रतिशत के आसपास है। कुछ मामलों में परिवार अपनी मर्जी सी-सेक्शन डिलीवरी करवा रहे हैं।
यूं करते हैं जेब खाली

निजी अस्पतालों में सामान्य प्रसव के बाद प्रसूता को दो दिन में छुट्टी दे दी जाती है, जबकि सिजेरियन मामले में 5 से 7 दिन में छुट्टी मिलती है। प्रसव कितना पेचीदा है, उस हिसाब से पैसे तय होते हैं। सात दिन में दवा, बेड, अलग से रूम सहित अन्य सुविधाओं के नाम पर पैसा वसूला जाता है।

सिजेरियन प्रसव तभी करवाना चाहिए जब जच्चा और बच्चा की जान को खतरा हो। अनावश्यक सिजेरियन प्रसव नहीं कराना गलत है। हमारे पास शिकायत आती है तो उसकी जांच करवाकर नियमानुसार कार्रवाई की जाती है।
डॉ. अंजू शर्मा, जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी

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