सबके प्रति सद्भावना रखता है हिन्दू धर्म
सरसंघचालक ने कहा कि हमें समर्थ बनना है, इसके लिए पूरे समाज को योग्य बनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, यह वास्तव में मानव धर्म है। विश्व धर्म है और सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है। हिंदू मतलब विश्व का सबसे उदारतम मानव, जो सब कुछ स्वीकार करता है। सबके प्रति सद्भावना रखता है। यह मूल्य जिनके हैं, यह संस्कृति जिनकी है। वह सब हिंदू है।सरसंघचालक ने स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया
मोहन भागवत ने कहा कि हम अपने धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन हो गए, इसलिए छुआछूत चला। ऊंच-नीच का भाव बढ़ा। हमें इस भाव को पूरी तरह मिटा देना है। जहां संघ का काम प्रभावी है। संघ की शक्ति है, वहां कम से कम मंदिर, पानी, श्मशान सब हिंदुओं के लिए खुले होंगे। यह काम समाज का मन बदलते हुए करना है। उन्होंने स्वयंसेवकों से सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुब प्रबोधन, स्व का भाव और नागरिक अनुशासन इन पांच विषयों को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया। डॉ. भागवत ने कहा कि भारत में भी परिवार के संस्कारों को खतरा है। सोशल मीडिया के दुरुपयोग से नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। इसलिए सप्ताह में एक बार निश्चित समय पर अपने कुटुंब के सब लोगों को एक साथ बैठकर भजन पूजन करना। उसके बाद घर में बनाया हुआ भोजन साथ में करना। समाज के लिए भी कुछ ना कुछ करने की योजना करना। अपने घर के अंदर भाषा, भूषा, भवन, भ्रमण और भोजन अपना होना चाहिए।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक राजस्थान के पांच दिवसीय दौरे पर हैं।
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