बोरिंग से गायब हो रहा है पानी
बांध का तेजी से गायब होने के पीछे सबसे बड़ी वजह आसपास संचालित बोरिंग को माना जा रहा है। भूगोल प्रोफेसर महेन्द्र जाजोरिया ने बताया कि बांध की तलहटी कई वर्षों से सूखी हुई थी, कुछ पानी इसे आर्द्र करने में चला गया। बांध के आसपास किसानों की एक हजार से ज्यादा बोरिंग लगी हुई है और समय किसान प्याज की रोपाई के लिए पानी का उपयोग कर रहा है। अलवर शहर की पेयजल आपूर्ति के लिए बांध के ऊपर 25 पानी की बोरिंग लगाई गई है, जो दिनरात चल रही है। इनसे हजारों लीटर पानी को निकाला जा रहा है।रेकॉर्ड बारिश फिर भी 12 बांध रीते
अलवर जिले में औसत बारिश 555 मिमी के मुकाबले अब तक 970 मिमी से ज्यादा बारिश हो चुकी है, लेकिन 12 बांध ऐसे हैं जिनमें पानी की आवक नहीं हुई। जिले में सिंचाई विभाग के 22 में 9 बांधों में ही पानी की आवक हुई है। सिलीसेढ़ और मानसरोवर में पिछले एक माह से चादर चल रही है। सबसे बड़ी नदी रुपारेल और साहबी में भी पानी चला है। उधर, जिला परिषद के 105 बांध में ज्यादातर सूखे हैं।फैक्ट फाइल
जयसमंद बांध की कुल गहराई 23.1 फीट हैइसकी पानी स्टोरे की क्षमता 952 मिलियन क्यूबिक फीट है
इस बार बारिश में इसका उच्चतम स्तर 12 फीट रहा
वर्तमान में 4.9 फीट रह गया जलस्तर
बांध में घटते पानी के स्तर को लेकर हम चिंतित हैं। इसके लिए भूजल विभाग से जानकारी ली जा रही है। साथ ही इसी प्रकार पानी का स्तर गिरता रहा तो जूलॉजिकल सर्वे करवाया जाएगा।
- संजय खत्री, एक्सईन, सिंचाई विभाग, अलवर
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