हालात बयां करता राजा-महाराजाओं का पिण्ड नगर कहलाने वाला पिनान कस्बा जो विरासितकालीन धरोहरों से विमुख होकर विकास के नए आयामों की ओर देख रहा है। जनश्रुति के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व सबसे पहले पिनान कस्बे के मध्य पंचायती चतुर्भुज मंदिर की स्थापना की गई थी। बसावट के तोर पर बंजारा समाज के लोगों का आगमन हुआ, यहां सर्राफा का बड़ा बाजार लगता था। शनै, शनै आबादी बढती रही। गांव का नाम पिण्डायन पड़ा। बढ़ते विकास के दौर में कस्बे का नाम परिवर्तित होता रहा। पिण्डायन से पिनायन, पिनाण और राजस्व रिकार्ड में पिनान अंकित हुआ। यहां करीब पचास वर्ष पूर्व विकास के नाम पर आयुर्वेदिक औषधालय, जलदाय विभाग की टंकी और गांव के मध्य होकर यातायात के मुख्य संसाधन माने जाते थे। बढ़ती आबादी और जनसंख्या के चलते पिनान कस्बा राजगढ़ तहसील का सबसे बड़ा गांव माना जाता है।
वर्तमान में करीब एक हजार आठ सौ की आबादी वर्तमान में करीब एक हजार आठ सौ से पार आबादी वाला पिनान कस्बा विकसित भारत के विकास की बांट जोह रहा है। यहां खेल प्रेमियों के लिए स्टेडियम नहीं। किसानों के हित में कृषि विभाग के अलावा ओर कोई सुविधा नहीं। जल संरक्षण, काॅलेज, प्रशिक्षण केन्द्र व औधोगिक जैसे विकास के संसाधन नहीं होने से लोग सीमित संसाधनों के भरोसे जीवन जीने को मजबूर हो रहे हैं। हालात ये हैं कि ग्रामीण अंचल क्षेत्र की बेटियों को काॅलेज स्तर की पढ़ाई के लिए शहरों की ओर जाना पड़ता है।
अनाज मंडी की आवश्यकता कृषि प्रधान क्षेत्र होने के कारण यहां के किसान को अनाज मंडी की महती आवश्यकता है। साथ ही कृषि व भूमि संबंधी समस्याओं के लिए लोगों को राजगढ़ या रैणी जाना पड़ता है। ऐसे में आम-जन पर आर्थिक बोझ बना रहता है। लोगों का कहना है सुपर एक्सप्रेस निकलने के बाद यहां करीब दस ग्राम पंचायतों के लोगों का आना जाना लगा रहता है। ऐसे में पिनान को उपतहसील का दर्जा मिलता है तो क्षेत्रीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार के आयाम खुलेंगे साथ ही विकास को रफ्तार मिलेगी।