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अब नगर निगम में भाजपा को मिल सकता है स्थाई मेयर

प्रदेश में भाजपा के काबिज होते ही नगर निगम में यहां भाजपा की स्थाई सरकार बनने की अब संभावनाएं बढ़ गई हैं। यानी भाजपा को स्थाई मेयर मिल सकता है। भाजपा के कुछ पार्षद इस पर रणनीति तैयार कर रहे हैं। उनकी नजरें मेयर कुर्सी पर लगी हैं। बताया जा रहा है कि वह अपने नेताओं के संपर्क हैं और उसी के मुताबिक माहौल बनाने की तैयारी कर रहे हैं।

अलवरDec 09, 2023 / 11:21 am

susheel kumar

अब नगर निगम में भाजपा को मिल सकता है स्थाई मेयर

– निकाय चुनाव में 11 माह बाकी, भाजपा के पास पार्षदों की संख्या है करीब 27, कांग्रेस का आंकड़ा 18 का
– पूर्व सभापति कोर्ट के आदेश पर दोबारा मांग रही थी पद लेकिन डीएलबी ने नहीं जारी किए थे आदेश
– अब गेंद भाजपा के पाले में, कुछ पार्षद मेयर की कुर्सी की ओर देख रहे, वह अपने नेताओं से साध रहे संपर्क
प्रदेश में भाजपा के काबिज होते ही नगर निगम में यहां भाजपा की स्थाई सरकार बनने की अब संभावनाएं बढ़ गई हैं। यानी भाजपा को स्थाई मेयर मिल सकता है। भाजपा के कुछ पार्षद इस पर रणनीति तैयार कर रहे हैं। उनकी नजरें मेयर कुर्सी पर लगी हैं। बताया जा रहा है कि वह अपने नेताओं के संपर्क हैं और उसी के मुताबिक माहौल बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
इस तरह बनी थी कांग्रेस की सभापति

नगर निगम के चुनाव अक्टूबर 2024 में होंगे। करीब 11 माह बाकी हैं। आगामी चुनाव में क्या नजारा होगा, ये समय बताएगा लेकिन निगम के वर्तमान परिदृश्य को बदलने के लिए कुछ पार्षदों ने संकेत दिए हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस की सरकार में भाजपा के पार्षदों की संख्या ज्यादा होने के बाद भी कांग्रेस की ही सभापति बीना गुप्ता बनीं। यानी भाजपा के पार्षदों ने अपने प्रत्याशी को वोट न देकर कांग्रेस प्रत्याशी का साथ दिया। निगम में सरकार बना दी लेकिन कुछ ही समय बाद बीना गुप्ता कुर्सी से हट गईं जो अब तक कुर्सी से दूर हैं। सरकार ने पार्षद से लेकर सभापति का पद रिक्त कर दिया था लेकिन कोर्ट ने इस कार्रवाई पर ये कहा था कि र्कारवाई संबंधित लोगों के संज्ञान में लाकर की जाए और नियमों को देखें। इसी आधार पर बीना गुप्ता दोबारा कुर्सी पर बैठने के लिए तीन माह पहले निगम पहुंची थी लेकिन डीएलबी ने कुर्सी नहीं दी।

इस तरह बन रही है रणनीति
वर्तमान में भाजपा के मेयर घनश्याम गुर्जर कुर्सी पर हैं। वह डीएलबी के आदेश पर हैं। ऐसे में भाजपा के कुछ पार्षदों का तर्क है कि डीएलबी के आदेश की बजाय हम सीधे स्थाई मेयर बनाने की तैयारी में हैं। इस पर डीएलबी से कुछ दिनों में पार्षद संपर्क करने की तैयारी में हैं लेकिन ये तभी हो सकता है जब पूर्व सभापति का पद रिक्त हो। इसके लिए अलग नियम हैं। पार्षदों का कहना है कि सरकार बदल गई है। अब हालात अलग हैं। भाजपा इस कार्यकाल में भी अपना स्थाई मेयर बनाकर नया रेकॉर्ड बना सकती है। अंदरखाने इसकी तैयारी चल रही है। मालूम हो कि भाजपा के पास करीब 27 पार्षद हैं। वहीं कांग्रेस के पास 18 पार्षद। बाकी पार्षद निर्दलीय हैं।

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