शहर की कच्ची बस्तियों में रह रहे करीब 6 हजार परिवारों को झटका लग सकता है। बिना रेकॉर्ड के इन बस्तियों के पट्टे जारी नहीं हो सकेंगे। नगर निगम से लेकर यूआईटी व प्रशासन ने कोना-कोना छान दिया लेकिन रेकॉर्ड हाथ नहीं लग रहा।
अलवर•Dec 28, 2023 / 11:56 am•
Akshita Deora
शहर की कच्ची बस्तियों में रह रहे करीब 6 हजार परिवारों को झटका लग सकता है। बिना रेकॉर्ड के इन बस्तियों के पट्टे जारी नहीं हो सकेंगे। नगर निगम से लेकर यूआईटी व प्रशासन ने कोना-कोना छान दिया लेकिन रेकॉर्ड हाथ नहीं लग रहा। अब डीएलबी को फिर से चिट्ठी नगर निगम भेजने की तैयारी कर रहा है। अब वहीं से जो आदेश मिलेंगे वह लागू होंगे। जानकारों का कहना है कि बिना रेकॉर्ड के पट्टे जारी नहीं किए जा सकेंगे।
इस तरह चला चिट्ठीवार: शहर में कच्ची बस्तियों की संख्या करीब 16 है। इनमें 11 हजार परिवार रहते हैं। कई परिवारों के पट्टे जारी हो गए लेकिन 6 हजार पट्टे अभी भी फंसे हैं। ये लोग पांच साल से चक्कर नगर निगम के काट रहे हैं लेकिन रास्ता नहीं निकल पा रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले नगर निगम को डीएलबी ने कहा था कि यूआईटी व प्रशासन से मदद ली जाए। उनके पास इन कॉलोनियों से जुड़े रेकॉर्ड होंगे। इन विभागों ने अपने स्तर से छानबीन की, लेकिन रेकॉर्ड नहीं मिला। चुनाव होने के बाद पट्टों के लिए हर दिन नगर निगम लोग पहुंच रहे हैं लेकिन मायूस लौट रहे हैं। उनका रेकॉर्ड नहीं मिल रहा है।
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