पांचवीं में पढ़ाई के दौरान ही त्याग दिया रात्रि भोजन कनिष्का जैन के पिता पवन व माता मधु जैन ने बताया कि कनिष्का जब पांचवीं व छठी कक्षा में पढ़ती थीं, तभी से रात्रि भोजन का त्याग कर दिया था। धीरे-धीरे जमीकंद आदि का भी त्याग कर दिया। 12वीं कक्षा पास करने के बाद वह नीट की तैयारी में जुट गईं। नीट की तैयारी के साथ जैन आगमों का भी अध्ययन करने लगीं। जिनवाणी का अध्ययन करते हुए उसके मन में वैराग्य भावना जागृत होने लगी। इसके बाद आचार्य हीराचंद म.स.की सुशिष्या सकलेश प्रभा के सान्निध्य में धर्म-अराधना शुरू की और संयम मार्ग पर निकल पड़ी। दीक्षार्थी कनिष्का जैन की दीक्षा के अनुमोदनार्थ कस्बे के सकल जैन समाज की ओर से 1 दिसम्बर को बडौदामेव कस्बे में भव्य वरघोड़ा यात्रा निकाली जाएगी। जिसकी तैयारियां की जाने लगी है।
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