अलवर. गत रेल बजट में अलवर की अनदेखी से निराश जिलेवासियों को केन्द्र सरकार से इस बार काफी उम्मीदें हैं। अलवर पूरे प्रदेश में अब औद्योगिकीकरण की सबसे बड़ी उम्मीद है, लेकिन प्रदेश का सबसे अहम उद्योग क्षेत्र भिवाड़ी ही अब तक रेलमार्ग से नहीं जुड़ पाया है। दिल्ली-मुम्बई फ्रेट कॉरीडोर का काम भी सुस्त गति से चल रहा है। रेल बजट में अलवर के लिए सबसे बड़ी उम्मीद भिवाड़ी को रेलमार्ग से जोडऩा रहेगी। बहरोड़-नीमराणा को भी रेलमार्ग से जुडऩे का इंतजार है। इसके अलावा अलवर से दिल्ली के बीच पैसेन्जर ट्रेन सहित रूट पर अतिरिक्त सवारी गाड़ी चलाने की मांग भी बरकरार है। दरअसल, दिल्ली के नजदीक होने के चलते अलवर से रोजाना बड़ी संख्या में लोग दिल्ली जाते हैं। इस मार्ग पर ज्यादातर एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं, जिनकी संख्या भी काफी कम है। नए और पहले से अटके रेलमार्गों पर नजरयातायात और माल परिवहन के लिहाज से अलवर जिले में कई बड़े औद्योगिक क्षेत्रों को रेलमार्ग से जोड़े जाने की लगातार मांग उठती रही है। वर्ष 2013 के रेल बजट में इसे तवज्जो मिली और रेवाड़ी-पलवल वाया भिवाड़ी रेलमार्ग का सर्वे कराया गया, लेकिन इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। उद्योग क्षेत्र की मांग के मद्देनजर यह रेलमार्ग अहम है। इनके अलावा बहरोड़ क्षेत्र के लिए भी यह मांग उठ रही है। हाल ही हरियाणा के मुख्यमंत्री ने भी दिल्ली-सोहना-नूंह-फिरोजपुर होते हुए अलवर तक नए रेलमार्ग की मांग की है। पटरी से उतार दी हाई स्पीड टे्रनराष्ट्रीय राजधानी परियोजना बोर्ड ने जिले के नए उभरते शहर बहरोड़-नीमराणा को हाई स्पीड रेल मार्ग से जोडऩा प्रस्तावित किया है, लेकिन भारी-भरकम बजट की मांग के चलते यह पूरी परियोजना ही पिछले आठ साल से फाइलों में रेंग रही है। गत सरकार ने कुछ इच्छाशक्ति दिखाते हुए 2013 में करीब 33 हजार करोड़ रुपए की इस योजना को अलवर शहर तक लाने की घोषणा की, लेकिन केन्द्र में राज बदलते ही हाई स्पीड टे्रन पटरी से उतर गई। गत वर्ष केन्द्र और राज्य सरकार ने प्रोजेक्ट में कटौती करते हुए इसे बहरोड़ से सोतानाला होते हुए मार्ग को जयपुर की तरफ मोड़ दिया। रेलवे एनसीपीआरबी के इस प्रोजेक्ट को हाथ में ले तो अलवर को बड़ा लाभ मिल सकता है।डबल लाइन के लिए जारी हो बजटअलवर से बांदीकुई डबल लाइन का कार्य अधूरा पड़ा है। बजट में यदि इसके लिए पैसा मिले तो अलवर इस कार्य को गति मिल सकती है। कार्य के पूरा होने से अलवर से जयपुर सहित कई नए रेल मार्ग खुल जाएंगे। अलवर से भरतपुर के लिए सीधी ट्रेन सेवा नहीं होने का दर्द भी कुछ कम होगा। बजट से हरबार अलवर को काफी उम्मीदें रहती हैं। एनसीआर में होने के बाद भी हर बार निराशा हाथ लगती है। अलवर की सबसे बड़ी आवश्यकता दिल्ली-अलवर के बीच लोकल ट्रेनों के संचालन की है। इसके अलावा अलवर-बांदीकुई डबल लाइन का कार्य भी अधूरा पड़ा है। इसके लिए भी बजट की आवश्यकता है। कांतिचंद पालावत, उपाध्यक्ष मत्स्य रेल एण्ड रोड यूजर्स एसोसिएशनहमें यह चाहिए रेल के ‘प्रभु’ सेअलवर से दिल्ली के लिए चलें लोकल ट्रेनेंअलवर जंक्शन पर यात्री सुविधाओं में हो बढ़ोतरीअलवर को कोटा से जोड़ ट्रेनें चलाई जाएं मथुरा लाइन पर ट्रेनों की संख्या बढ़ेविद्युत लोकल ट्रेनें अलवर तक चलें मथुरा से अलवर होकर पंजाब-हरियाणा के लिए ट्रेने चलेंदिल्ली से उदयपुर के लिए अलवर-जयपुर होकर ट्रेने चलें