अधिकारियों ने कई सालों से नहीं ली सुध…..
मत्स्य विभाग की ये जमीन पटवार हल्का केसरपुर के अंतर्गत आती है। जमीन बंजर, तालाब और जयमसमंद बांध की पाल हैं, जिससे पर अवैध मिट्टी खनन का कारोबार चल रहा है। जमीन की जमाबंदी पर खातेदार का नाम राज्य सरकार दिखाया गया है। जमीन की खाता संख्या 232 है। इसके साथ ही जमीन का खसरा संख्या 511, 538, 542, 551, 553, 554, 555 और 701 है। तेज बारिश होती है तो जयसमंद बांध का पानी और पास के पहाड के पानी से जनहानि हो सकती है।
मत्स्य विभाग की ये जमीन पटवार हल्का केसरपुर के अंतर्गत आती है। जमीन बंजर, तालाब और जयमसमंद बांध की पाल हैं, जिससे पर अवैध मिट्टी खनन का कारोबार चल रहा है। जमीन की जमाबंदी पर खातेदार का नाम राज्य सरकार दिखाया गया है। जमीन की खाता संख्या 232 है। इसके साथ ही जमीन का खसरा संख्या 511, 538, 542, 551, 553, 554, 555 और 701 है। तेज बारिश होती है तो जयसमंद बांध का पानी और पास के पहाड के पानी से जनहानि हो सकती है।
बनने लगे पक्के मकान, नहीं कोई रोक
जयसमंद बांध की पाल के नीचे मत्स्य विभाग की जमीन पर लोगों ने पक्के मकान बनाना शुरू कर किया है। इनकी संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। अधिकारियों ने कई वर्षों से जमीन की पैमाईश नहीं की है। जिसका फायदा उठाकर भूमाफिया जमीन पर कब्जा जमा रहे हैं। अगर ऐसा चलता रहा तो आगामी दिनों में यहां कॉलोनी बस जाएगी। इस जगह के आसपास शहर में पानी की सप्लाई के लिए जलदाय विभाग ने कई बोङ्क्षरग कर रखे हैं।
जयसमंद बांध की पाल के नीचे मत्स्य विभाग की जमीन पर लोगों ने पक्के मकान बनाना शुरू कर किया है। इनकी संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। अधिकारियों ने कई वर्षों से जमीन की पैमाईश नहीं की है। जिसका फायदा उठाकर भूमाफिया जमीन पर कब्जा जमा रहे हैं। अगर ऐसा चलता रहा तो आगामी दिनों में यहां कॉलोनी बस जाएगी। इस जगह के आसपास शहर में पानी की सप्लाई के लिए जलदाय विभाग ने कई बोङ्क्षरग कर रखे हैं।
जयसमंद में भी अवैध खेती
जयसमंद बांध में बारिश के दौरान यहां पानी आता है। यहां अवैध रूप से खेती हो रही है। ईआरसीपी के तहत चम्बल का पानी इस बांध तक लाने की योजना है। मगर जिस तरह से बांध के रास्तों पर अतिक्रमण है, उससे पानी लाने की राह आसान नहीं है।
जयसमंद बांध में बारिश के दौरान यहां पानी आता है। यहां अवैध रूप से खेती हो रही है। ईआरसीपी के तहत चम्बल का पानी इस बांध तक लाने की योजना है। मगर जिस तरह से बांध के रास्तों पर अतिक्रमण है, उससे पानी लाने की राह आसान नहीं है।
इनका कहना है
मत्स्य विभाग की जमीन का दायरा निश्चित नहीं किया गया है और न ही इसकी कोई पैमाइश हो सकी है। यहां मिट्टी का खनन हो रहा है, जिससे जमीन में बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं। कुछ जगहों पर अवैध कब्जे की भी जानकारी सामने आई है।
मत्स्य विभाग की जमीन का दायरा निश्चित नहीं किया गया है और न ही इसकी कोई पैमाइश हो सकी है। यहां मिट्टी का खनन हो रहा है, जिससे जमीन में बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं। कुछ जगहों पर अवैध कब्जे की भी जानकारी सामने आई है।
- महेश सोनवाल, मत्स्य विकास अधिकारी, अलवर