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अलवर

मत्स्य विभाग की 42 बीघा भूमि पर अतिक्रमण, मिट्टी का भी अवैध खनन

जयसमंद बांध से सटी मत्स्य विभाग की 42 बीघा जमीन पर भूमाफिया कब्जा जमा रहे हैं। यहां अवैध प्लॉङ्क्षटग के साथ ही धड़ल्ले से मिट्टी खनन भी हो रहा है। हालत यह है कि जमीन में 15 से 20 फिट तक गड्ढ़े हो गए हैं। इतना होने के बाद भी जिला प्रशासन इन अवैध अतिक्रमियों को हटाने की जहमत नहीं उठा रहा है।

अलवरJun 18, 2024 / 06:35 pm

Pradeep

जयसमंद बांध से सटी जमीन पर भी कर रहे प्लॉटिंग
अलवर. जयसमंद बांध से सटी मत्स्य विभाग की 42 बीघा जमीन पर भूमाफिया कब्जा जमा रहे हैं। यहां अवैध प्लॉङ्क्षटग के साथ ही धड़ल्ले से मिट्टी खनन भी हो रहा है। हालत यह है कि जमीन में 15 से 20 फिट तक गड्ढ़े हो गए हैं। इतना होने के बाद भी जिला प्रशासन इन अवैध अतिक्रमियों को हटाने की जहमत नहीं उठा रहा है। मत्स्य विभाग भी मौन बैठा है। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि क्या अधिकारियों और भूमाफियाओं की सांठगांठ से यह काम हो रहा है ? अगर ऐसा नहीं है तो आखिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है ?
अधिकारियों ने कई सालों से नहीं ली सुध…..
मत्स्य विभाग की ये जमीन पटवार हल्का केसरपुर के अंतर्गत आती है। जमीन बंजर, तालाब और जयमसमंद बांध की पाल हैं, जिससे पर अवैध मिट्टी खनन का कारोबार चल रहा है। जमीन की जमाबंदी पर खातेदार का नाम राज्य सरकार दिखाया गया है। जमीन की खाता संख्या 232 है। इसके साथ ही जमीन का खसरा संख्या 511, 538, 542, 551, 553, 554, 555 और 701 है। तेज बारिश होती है तो जयसमंद बांध का पानी और पास के पहाड के पानी से जनहानि हो सकती है।
बनने लगे पक्के मकान, नहीं कोई रोक
जयसमंद बांध की पाल के नीचे मत्स्य विभाग की जमीन पर लोगों ने पक्के मकान बनाना शुरू कर किया है। इनकी संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। अधिकारियों ने कई वर्षों से जमीन की पैमाईश नहीं की है। जिसका फायदा उठाकर भूमाफिया जमीन पर कब्जा जमा रहे हैं। अगर ऐसा चलता रहा तो आगामी दिनों में यहां कॉलोनी बस जाएगी। इस जगह के आसपास शहर में पानी की सप्लाई के लिए जलदाय विभाग ने कई बोङ्क्षरग कर रखे हैं।
जयसमंद में भी अवैध खेती
जयसमंद बांध में बारिश के दौरान यहां पानी आता है। यहां अवैध रूप से खेती हो रही है। ईआरसीपी के तहत चम्बल का पानी इस बांध तक लाने की योजना है। मगर जिस तरह से बांध के रास्तों पर अतिक्रमण है, उससे पानी लाने की राह आसान नहीं है।
इनका कहना है
मत्स्य विभाग की जमीन का दायरा निश्चित नहीं किया गया है और न ही इसकी कोई पैमाइश हो सकी है। यहां मिट्टी का खनन हो रहा है, जिससे जमीन में बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं। कुछ जगहों पर अवैध कब्जे की भी जानकारी सामने आई है।
  • महेश सोनवाल, मत्स्य विकास अधिकारी, अलवर
अवैध प्लॉटिंग की जमीन को सरकार के नाम करने की तैयारी

  • यूआईटी की ओर से विधानसभा चुनाव से पहले प्रशासन को भेजी गई थी 200 बीघा की फाइल
  • अलवर. शहर में बिल्डर जहां-जहां अवैध प्लॉङ्क्षटग कर रहे हैं, उस जमीन को प्रशासन सरकारी घोषित कर देगा। शहर के कई मार्गों पर अवैध प्लाङ्क्षटग तेजी से चल रही है। बताया जा रहा है कि 200 बीघा से ज्यादा कृषि एरिया सरकारी घोषित हो सकता है। इससे बिल्डरों में हडक़ंप मचा हुआ है। हालांकि अवैध कब्जे अब भी जारी हैं।
    इस तरह यूआईटी ने बढ़ाया कदम
    यूआईटी ने विधानसभा चुनाव से पहले मूंगस्का से लेकर जयपुर, दिल्ली, बहरोड़ व तिजारा मार्ग पर अवैध प्लॉङ्क्षटग करके करीब 250 बीघा कृषि भूमि मुक्त कराई थी। इस जमीन का भू-उपयोग नहीं बदला गया था। सडक़ से लेकर बाउंड्रीवाल, दीवारें बिल्डरों ने खड़ी कर ली थीं। इसे देखते हुए पूर्व सचिव अशोक कुमार योगी ने 250 बीघा कृषि भूमि को सिवायचक घोषित करने के लिए फाइल चलाई थी। अब यह फाइल दौड़ रही है। इसके अलावा अन्य बिल्डर भी इस लपेटे में आ रहे हैं। उनकी जमीन भी प्रशासन सरकारी घोषित करने के चक्कर में है। बताया जा रहा है कि यूआईटी की मेहरबानी से कुछ मार्गों पर अवैध प्लाङ्क्षटग चल रही है।
    इनका कहना है
    जयसमंद बांध पर अवैध प्लॉङ्क्षटग की जांच करा रहे हैं। बांध के बहाव क्षेत्र में प्लॉङ्क्षटग नहीं हो सकती। इस जमीन को सिवाय चक घोषित करेंगे। अन्य जगहों के भी प्रकरण दिखवाए जा रहे हैं।
  • प्रतीक जुईकर, एसडीएम अलवर

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