इसी के चलते जिला प्रशासन ने चुनावी तैयारियों को अंजाम देने के लिए 22 दिसंबर को बैठक बुलाई है। वहीं निर्वाचन आयोग ने भी उपचुनाव के लिए चुनाव सामग्री भिजवाना शुरू कर दिया है। वहीं मतदान के लिए ईवीएम भी जल्द ही अलवर पहुंचने की संभावना है।
चुनाव सामग्री पहुंचने लगी
चुनावी आहट के बीच निर्वाचन आयोग ने भी चुनाव से जुड़ी सामग्री भेजना शुरू कर दिया है। निर्वाचन विभाग की ओर से फिलहाल प्रत्याशियों के नामांकन प्रपत्र, मतदाता रजिस्टर, ईवीएम डमी, मतदाता पर्ची समेत कई अन्य प्रकार की सामग्री की पहली खेप अलवर पहुंच चुकी है, वहीं कुछ और चुनावी सामग्री जल्द ही पहुंचने की उम्मीद है। ईवीएम भी कुछ ही दिनों में पहुंचने की उम्मीद है। अलवर में करीब 1980 मतदान केन्द्रों के लिए ईवीएम की जरूरत है। वहीं करीब 25 प्रतिशत ईवीएम रिजर्व में रखने का प्रावधान है। इस कारण करीब ढाई हजार ईवीएम की उपचुनाव में जरूरत होगी।
लोगों की अपेक्षा बढ़ी
प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व हो रहे अलवर, अजमेर एवं माडलगढ़ उपचुनाव प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए लिटमस टेस्ट होने के कारण कोई भी दल लोगों को अपनी ओर मोडऩे में कसर बाकी नहीं छोड़ रहा। सरकार भी इसमें पीछे नहीं है। उपचुनाव की महत्वता को देखते हुए सरकार भी इन दिनों कॉलेज, कोर्ट एवं अन्य तरह की घोषणाएं करने में पीछे नहीं है।
घोषणाओं के दौर में लोग भी मांग करने में पीछे नहीं है। यही कारण है कि बहरोड़ को जिला बनाने की सुगबुगाहट के साथ ही जिले के कई अन्य कस्बों को भी जिला बनाने की मांग उठने लगी है। वहीं मुण्डावर में सरकारी कॉलेज खोलने की घोषणाओं के साथ ही कई अन्य कस्बों में भी कॉलेज खोलने की पुरजोर मांग होने लगी है।
राजनीतिक दलों ने भी कसी कमर उपचुनाव की घोषणा जल्द होने के संभावना के चलते प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी चुनावी रणनीति को अंजाम देना शुरू कर दिया है। भाजपा पहले ही बूथ स्तर तक संगठन को सक्रिय करने में जुटी है, वहीं कांग्रेस भी इसी काम में जुट गई है। चुनावी माहोल बनाने के लिए भाजपा की ओर से हर दिन कोई न कोई मंत्री या वरिष्ठ पार्टी नेता बैठक, जनसुनवाई या किसी अन्य तरीके से अलवर जिले में अपनी मौजूदगी में जताने में जुटे हैं।