इंदौर का सफाई मॉडल अलवर नगर निगम के अफसरों ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष रखा है। प्रजेंटेशन के दौरान मंत्रालय के एसीएस बीसी गंगवाल भी मौजूद रहे। नगर निगम के पास सफाई के लिए संसाधन नहीं हैं। जेसीबी किराये पर ली जाती है। ऑटो टिपर कागजों में 78 हैं, जबकि 65 ही चल रहे हैं।
सफाई व्यवस्था में सुधार के लिए अलवर नगर निगम को 80 ऑटो टिपर चाहिए। इसके अलावा पॉकलेन मशीन और पहले चरण के लिए पर्याप्त कचरापात्र चाहिए। निगरानी के लिए निगम में एक सेनेटरी इंस्पेक्टर है। आबादी के हिसाब से आठ सेनेटरी इंस्पेक्टर होने जरूरी हैं। शहर में चार जोन हैं लेकिन एक ही इंस्पेक्टर है।
शिवाजी पार्क में सीवर लाइन डाली जानी हैं। गंदगी के चलते बड़ी आबादी प्रभावित हो रही है। ऐसे में 15 करोड़ की लागत से सीवर लाइन डालने का प्रस्ताव रखा गया है। ठेकेदारी प्रथा से सफाई के लिए 600 कर्मचारी रखने की योजना है। बाकी 600 स्थाई कर्मचारी हैं। ऐसे में दोनों को मिलाकर सफाई का काम चल जाएगा। नई सफाई भर्ती के तहत भी कर्मचारी मिलेंगे।
कूड़ेदान पहले चरण में रखे जाएंगे। बाद में गाड़ियां ही घर-घर कचरा संग्रह करेंगी। नियम तोड़ने वालों से जुर्माना वसूला जाएगा। इसके लिए दो शिफ्टों में टीम काम करेगी। गीला व सूखा कचरा अलग-अलग होगा। ट्रंचिंग ग्राउंड शहर के दूसरे हिस्से में बनेगा। नियमित कचरा प्लांट तक जाएगा।
कचरा निस्तारण प्लांट का संचालन होगा। अभी फिलहाल बंद है। दूसरी फर्म को टेंडर दिया जाएगा। जीपीएस लगे ऑटो टिपर व सीसीटीवी के जरिए निगरानी। सीसीटीवी कैमरे से हो निगरानी, कठोर नियम, ठेके से सिर्फ कर्मचारियों की भर्ती हो।
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पहले एक वार्ड को बनाएंगे आदर्श
इंदौर मॉडल को टुकड़ों में लागू किया जाएगा। पहले एक वार्ड को आदर्श बनाया जाएगा। उसी वार्ड के लोगों से मदद लेकर अन्य वार्डों के लोगों में नई सोच विकसित की जाएगी ताकि खुले में कचरा न फैलाया जाए। इस तरह 2 माह में एक वार्ड को आदर्श बनाया जा सकेगा। यह भी पढ़ें
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दो उपायुक्तों की तैनाती जरूरी
नगर निगम में सफाई व्यवस्था के संचालन के लिए 20 कर्मचारियों की आवश्यकता है, जिसमें सफाई का निरीक्षण करने वाले भी शामिल हैं। कंप्यूटर ऑपरेटर से लेकर लिपिकों की संख्या में भी बढ़ोतरी की मांग रखी गई है। दो उपायुक्त की जरूरत सबसे ज्यादा बताई गई ताकि जोन के अनुसार उनको निगरानी दी जा सके। चालान करने वाली टीम भी उन्हीं के अधीन होगी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष सफाई मॉडल की प्रस्तुति दी गई है। संसाधन व स्टाफ से लेकर बजट आदि की आवश्यकता पर बल दिया गया है। वहां से समस्याओं के समाधान के लिए आश्वासन भी मिला था।- बजरंग सिंह चौहान, पूर्व आयुक्त, नगर निगम