जिला परिषद को इस योजना के तहत दो साल पहले 5.50 करोड़ रुपए मिले थे। नियम यह है कि स्वच्छता व पेयजल के कामों पर 60 फीसदी रकम खर्च होगी और बाकी 40 फीसदी कार्य अन्य कामों पर खर्च होंगे। जिला परिषद ने इसका उलटा किया। स्वच्छता व पेयजल की श्रेणी में 40 फीसदी कार्य पास किए और अन्य कामों को 60 फीसदी रकम दे दी। इसमें सड़क आदि के काम शामिल थे। ऐसे कुछ मामले अन्य जिलों में भी सामने आए। ऐसा क्यों किया गया? इसकी जांच अब तक नहीं हो पाई, लेकिन सरकार ने शिकायतों का संज्ञान लेते हुए नए आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश में सरकार ने सब कुछ स्पष्ट कर दिया है।