प्रदेश सरकार ने बोर्ड प्रशासन को निर्देशित किया था कि मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों में अभिभावकों एक छात्र छात्राओं को इन कामों के लिए ना दौड़ाया जाए। इसके लिए पहले से ही पारदर्शिता कि व्यवस्था बनाई जाए कि छात्रों को घर बैठे ही अपनी समस्याओं का समाधान मिल सके। गौरतलब है कि यूपी बोर्ड के परिणाम आने के बाद क्षेत्रीय कार्यालय और मुख्यालय पर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से शिक्षकों छात्रों और अभिभावकों की भीड़ लगी रहती थी। उनमें से ज्यादातर लोगों की शिकायत यही होती थी, कि उनके नाम की स्पेलिंग गलत है या उनके अभिभावकों के नाम में कुछ त्रुटियां हुई है, या रोल नंबर के अंकों में फेरबदल हो गया है। गौरतलब है की बोर्ड का परिणाम आगामी 29 अप्रैल को आने जा रहा है ।
वही सबसे बड़ी समस्या इस बात की होती है की कई विषयों और प्रयोगात्मक परीक्षा के अंक तक दर्ज नहीं होते थे । हर साल बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों का परिणाम अपूर्ण भी रह जाता है। ऐसे में मुख्यालय के आदेश पर क्षेत्रीय कार्यालय ने सतर्कता बरतते हुए प्रयोगात्मक परीक्षकों की रिपोर्ट को भी रिजल्ट तैयार करने वाली एजेंसी के पास भेजा है। साथ ही तमाम प्रधानाचार्य अंक प्रमाण पत्र में सुधार के लिए जो रिपोर्ट भेज रहे हैं उनका भी संज्ञान लेकर गलतियां दुरुस्त कराई जा रही है । बोर्ड अधिकारियों की माने तो हर बार होने वाली गलतियों का कारण यह भी यह है की परीक्षा से पहले भरे जाने वाले फ़ार्म को विद्यालय के शिक्षक ठीक से नहीं देखते हैं। जिसका परिणाम यह होता है की छात्र परेशान होते है । वही बोर्ड इस बार परीक्षा का परिणाम इतनी जल्दी देने का जो रिकार्ड बनाने जा रहा है। उसके साथ यह भी कोशिश है की ,बोर्ड सबसे कम गलतियों का भी रिकार्ड बना सके।
By- Prasoon Pandey