आलोक राज ने कहा कि आमतौर पर पेपक बनाने, उसकी छपाई करने और केंद्रों तक पहुंचाने के लिए बहुत सारी मशीनरी की आवश्यकता होती है। यदि इस मशीनरी में कोई कड़ी कमजोर पड़ने के बाद पेपर लीक होने की संभावना है। इससे बचने के लिए कंप्यूटर आधारित टेस्ट कराने पर विचार किया जा रहा है। इस प्रणाली में परीक्षा का पेपर सीधे पेपर सेंटर से सर्वर के माध्यम से परीक्षा केंद्र पर मौजूद कंप्यूटर तक पहुंच जाता है। इससे बीच की कड़ियां खत्म हो जाती हैं और पेपर लीक की संभानाएं न के बराबर होती है।
उन्होंने बताया कि बोर्ड ने फिलहाल छोटी परीक्षाओं के लिए यह फैसला लिया है। चूंकि वर्तमान में राजस्थान में किसी भी बड़ी परीक्षा को कंप्यूटर आधारित बनाने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए छोटी परीक्षाओं के लिए कंप्यूटर आधारित टेस्ट आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस भी भर्ती परीक्षा में 20 हजार से कम अभ्यर्थी शामिल होंगे, उन परीक्षाओं में कंप्यूटर आधारित परीक्षा आयोजित की जाएगी, लेकिन इसमें एक पेंच है कि यह पूरी तरह से कंप्यूटर आधारित परीक्षा नहीं होगी। यह एक हाइब्रिड मॉडल होगा। जिसके तहत कंप्यूटर आधारित के साथ-साथ ओएमआर आधारित टेस्ट भी होगा। यानी अभ्यर्थी को प्रश्नपत्र कंप्यूटर में मिलेगा और उसका उत्तर ओएमआर शीट पर देना होगा। उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में परीक्षाएं ऐसी आयोजित की जाएंगी, जिसमें हाइब्रिड फार्मूले को इस्तेमाल किया जाएगा।