राजस्थान लोक सेवा आयोग ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती के पेपर लीक, फर्जी डिग्री-टेम्परिंग सहित आरएएस और ईओ भर्ती में मनमाने अंक दिलाने जैसी चुनौतियों को नवाचार से जवाब दिया है। पूर्व की छोटी-छोटी त्रुटियों को हमने नई शुरुआत से समाप्त करने की कोशिश की है। भर्ती परीक्षाओं, डीपीसी और अन्य कामकाज की अधिकता को देखते हुए यहां स्टाफ की काफी जरूरत है। यह बात आयोग अध्यक्ष संजय कुमार श्रोत्रिय ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कही।
पत्रिका: दो साल में कई चुनौतियां आईं, इनका किस तरीके से निराकरण किया? श्रोत्रिय: उदयपुर में एक बस में वरिष्ठ अध्यापक भर्ती का पेपर सॉल्व करने की सूचना मिली। मैंने तत्काल पेपर को स्थगित करने का फैसला लिया। ताकि शक की कोई गुंजाइश नहीं रहे। बाद में हमने चाक-चौबंद सुरक्षा में दोबारा पेपर कराया।
पत्रिका: आयोग सदस्य-ड्राइवर की पेपर लीक में लिप्तता उजागर हुई, इसे कैसे देखते हैं? श्रोत्रिय: दुर्भाग्य ही कहूंगा। संवैधानिक पद पर बैठने वालों से ऐसी अपेक्षा कतई नहीं हो सकती है। एसओजी को सूचनाएं देने से त्वरित कार्रवाई हुई।
पत्रिका: सब इंस्पेक्टर भर्ती में फर्जीवाड़ा सामने आया, गिरफ्तारियां हुई। क्या इस भर्ती को कैंसिल नहीं किया जाना चाहिए? श्रोत्रिय: एसआई भर्ती परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षा मेरे पदभार संभालने से पहले 2021 में हो गई थी। हमने एसआईटी को सबूत दिए तब फर्जीवाड़े में गिरफ्तारियां हुई। भर्ती को कैंसिल या बरकरार रखने का क्षेत्राधिकार सिर्फ राज्य सरकार का है।
पत्रिका: फर्जी डिग्री के अलावा प्रवेश पत्र में टेम्परिंग, परीक्षा में डमी कैंडिडेट बैठाने के खूब सामने उजागर हुए, इसे कैसे देखते हैं? श्रोत्रिय: फर्जी डिग्री अथवा प्रवेश पत्र में टेम्परिंग के मामलों को हमने ही आंतरिक जांच में पकड़ा। आयोग की सजगता से ही फर्जीवाड़े उजागर हुए। इसके बाद तो हमने ओएमआर पर थम्ब इम्प्रेशन, हैंड राइटिंग के नमूने, ऑनलाइन आवेदन, विस्तृत आवेदन पत्र, काउंसलिंग में बड़े साइज का फोटो लगाने जैसे नवाचार किए हैं।
पत्रिका: यूपीएएससी और अन्य आयोग की तुलना में आरपीएससी ज्यादा सुर्खियों में रहता है, इसे क्या मानते हैं? श्रोत्रिय: आरपीएससी देश का एकमात्र संस्थान है, जो आरटीआई में कॉपी देता है। परीक्षा के बाद प्रश्न पत्र, आंसर-की अपलोड कर आपत्तियां मांगता है। यूपीएससी अथवा अन्य आयोग तो परीक्षा-साक्षात्कार और पदस्थापन होने के बाद यह प्रेक्टिस करते हैं। हालांकि आयोग में कामकाज की अधिकता के चलते स्टाफ की जरूरत है।
पत्रिका: दो साल के कार्यकाल से संतुष्ट हैं या बहुत कुछ करने की इच्छा रह गई है? श्रोत्रिय: सीखना और नवाचार करना जीवन की सतत प्रक्रिया है। मुझे जितना समय मिला, कामकाज किया। अब लेखन, परिवार और समाज सेवा में वक्त बिताना चाहूंगा।
2022 में मिला था पदभार श्रोत्रिय को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2022 में अध्यक्ष नियुक्त किया था। इससे पहले वह जयपुर के पुलिस महानिरीक्षक पद पर तैनात थे। मालूम हो कि अध्यक्ष पद पर आईपीएस के रूप में डॉ. भूपेंद्र यादव, देवेंद्र सिंह सहित कई अधिकारी कामकाज कर चुके हैं। इनके अलावा चीफ जस्टिस, कई आईएएस, आरएएस अधिकारी, शिक्षाविदों ने भी यहां कामकाज किया है।
1949 में गठित हुआ था आयोग आजादी के बाद आयोग का गठन 1949 में किया गया था। इसका गठन आरएएस एवं अधीनस्थ सेवाओं, चिकित्सा, शिक्षा, पुलिस विभाग में भर्तियों के लिए हुई थी। कालान्तर में इसे अन्य विभागों की भर्तियां भी सौंपी जाने लगी। आयोग ने 75 साल के इतिहास में लाखों भर्तियां अंजाम दी हैं। देश में यूपीएससी के बाद नवाचार में आरपीएससी अग्रणीय रहा है।