प्रकरण के मास्टर माइंड मनीष कपूर ने कोर्ट में पेशी के दौरान साइबर थाने के उप निरीक्षक मनीष चारण पर उसे गिरफ्तार नहीं करने की एवज में 20 लाख रुपए की रिश्वत देने का आरोप लगाया था। आलाधिकारियों तक जानकारी पहुंची तो मामले ने तूल पकड़ लिया। पुलिस उप महानिरीक्षक(अजमेर रेंज) ओमप्रकाश ने एसपी वंदिता राणा से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी। एसपी वंदिता राणा की पड़ताल में उप निरीक्षक मनीष चारण व साइबर सेल के एएसआई दुर्गेशसिंह पर आरोप प्रथमदृष्ट्या सिद्ध पाए गए।
यूं चला घटनाक्रम
6 जुलाई को एनआरआई ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया। एसआई मनीष चारण ने अनुसंधान किया।15 जुलाई- हरीश और रघुनाथ को पकड़ा था। चालान पेश कर दिया।
एनआरआई ने पुलिस मुख्यालय व गृह विभाग में शिकायत कर दी।
प्रकरण में जांच सीओ(साउथ) ओमप्रकाश को दी गई।
1 दिसम्बर को डांगावास निवासी मनीष मुंडेल को पकड़ा।
3 दिसम्बर को मुख्य आरोपी मनीष कपूर समेत 9 को गिरफ्तार किया।
5 दिसम्बर को सीओ ओमप्रकाश ने उन्हें कोर्ट में पेश किया। जहां कपूर ने गिरफ्तारी पर कोर्ट में पुलिस का काला चिट्ठा उजागर कर दिया।
दोनों सस्पेंड
साइबर थाने के उप निरीक्षक मनीष चारण व साइबर सेल के सहायक उपनिरीक्षक दुर्गेश सिंह जादौन को निलम्बित किया है।–हिमांशु जांगिड़, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, शहर
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