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Rajasthan News : BJP सरकार आते ही आई गहलोत सरकार में पेपर लीक प्रकरण से जुड़ी ये बड़ी खबर

RPSC Paper Leak Case : राजस्थान लोक सेवा आयोग के पेपर लीक मामले की जांच अब नई सरकार पर निर्भर करेगी। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में सदस्य बाबूलाल कटारा समेत पेपर लीक मुद्दे और सदस्यों की नियुक्ति को प्रमुखता से उठाया था।

अजमेरDec 05, 2023 / 10:08 am

Kirti Verma

RPSC Paper Leak Case : राजस्थान लोक सेवा आयोग के पेपर लीक मामले की जांच अब नई सरकार पर निर्भर करेगी। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में सदस्य बाबूलाल कटारा समेत पेपर लीक मुद्दे और सदस्यों की नियुक्ति को प्रमुखता से उठाया था। नई सरकार के गठन के बाद ही उच्च स्तर पर मामलों की जांच संभव होगी।

1949 में राजस्थान लोक सेवा आयोग सेवा का गठन हुआ। इसमें अध्यक्ष सहित सात सदस्य होते हैं। मौजूदा वक्त अध्यक्ष संजय कुमार श्रोत्रिय और छह सदस्य हैं। इनमें से डॉ. जसवंत राठी, डॉ. संगीता आर्य, डॉ. मंजू शर्मा, लेफ्टिनेंट कर्नल केसरीसिंह राठौड़, के. सी. मीना और प्रो. अयूब खान शामिल हैं।

कटारा पर कार्रवाई का इंतजार
सदस्य बाबूलाल कटारा को इसी वर्ष अप्रेल में एसओजी ने वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा-2022 के पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया था। कटारा के साथ ही उसके भांजे और आयोग के ड्राइवर को पकड़ा गया। इनकी दिसम्बर-2022 में उदयपुर में पेपर लीक मामले में लिप्तता पाई गई। कटारा को बर्खास्त करने की फाइल राज्यपाल कलराज मिश्र के माध्यम से राष्ट्रपति और केंद्र सरकार के स्तर पर भिजवाई गई है।

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एसआईटी से जांच
भाजपा ने आरपीएससी के पेपर लीक मामले को प्रमुखता से उठाया। इसी वर्ष 18 जुलाई को पुलिस लाइन में सभा और आरपीएससी का घेराव कार्यक्रम रखा गया। भाजपा ने पृथक एसआईटी बनाकर पेपर लीक मामले की जांच की बात कही है। अब नई सरकार के गठन के बाद ही उच्च स्तर पर मामले की जांच कराई जा सकेगी।

तो बढ़ेगी आयोग की टेंशन
पेपर लीक मामले की जांच हुई तो आयोग की टेंशन बढ़ सकती है। फिलहाल कटारा और आयोग के ड्राइवर की लिप्तता ही उजागर हुई है। विधायक और सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने तो अंदरूनी स्तर तक जांच की बात कही है।

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सदस्यों की नियुक्ति पर भी सवाल
भाजपा ने सदस्यों की नियुक्ति पर भी कई बार सवाल उठाए हैं। हालांकि नियुक्त सदस्यों को हटाना आसान नहीं है, लेकिन सरकार दबाव बनाकर अध्यक्ष अथवा सदस्यों से इस्तीफे भी ले सकती है। ऐसा 2014 में हो चुका है। तब तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. हबीब खान गौरान के खिलाफ आंदोलन हुआ था। उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

 

 

 

 

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