इस बार कोरोना रोगियों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। देश में पिछले एक सप्ताह से रोजाना साढ़े तीन लाख से अधिक संक्रमित सामने आए हैं। कमोबेश पूरे देश में सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने के लिए जगह नहीं है। आने वाले कुछ दिनों में हालात और अधिक बिगडऩे की आशंकाएं व्यक्त की जा रही है, लेकिर रेल मंत्रालय ने ट्रेन के कोच आईसोलेशन अथवा चिकित्सा वार्ड में बदलने का कार्य शुरू नहीं किया है। रेलवे ने किसी भी रेल कारखाने में कोच को वार्ड में तब्दील करने के निर्देश जारी नहीं किए हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण की सैकंड वेव में रेलवे कारखाना प्रबंधन ने अपने स्तर पर इसकी तैयारी कर ली थी।
लोको कारखाने में तैयार हुए थे 65 कोच पिछले साल कोरोना मरीजों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए अजमेर के लोको कारखाने ने 65 कोच तैयार किए थे। रेलवे बोर्ड ने लोको कारखाना प्रबंधन को पहले एक कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर डिजाइन भेजने के निर्देश दिए थे। रेलवे बोर्ड को लोको कारखाना द्वारा तैयार इस तरह के कोच पसंद आए और बाद में लोको कारखाना में लगभग 65 कोच तैयार कर दिल्ली भिजवाए गए थे।
संसाधन की कमी है वजह दरअसल, रेलवे बोर्ड ने पिछले साल प्रायोगिक तौर पर 5 हजार कोच में आवश्यक फेरबदल कर लगभग 80 हजार बेड तैयार कर लिए थे। इन कोच को देश के विभिन्न राज्यों में आकस्मिक जरूरत के लिए भेजा गया था, लेकिन इनका उम्मीद के मुताबिक उपयोग नहीं किया जा सका। रेलवे अधिकारियों के अनुसार ट्रेन कोच को वार्ड में तब्दील करना तो आसान है, लेकिन उनमें चिकित्सा उपकरण, वेंटीलेटर, आक्सीजन सहित चिकित्सकों और अन्य कार्मिकों की नियुक्ति आसान नहीं है। देश में मौजूदा अस्पतालों में इस समय आक्सीजन सहित अन्य चिकित्सा उपकरणों की कमी पूरी नहीं की जा रही है। ऐसे में हजारों ट्रेन कोच को वार्ड में तब्दील कर उनमें चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना आसान नहीं है।
इनका कहना है इस बार रेलवे बोर्ड की ओर से सवारी गाडिय़ों के कोच को चिकित्सा वार्ड में तब्दील करने के निर्देश नहीं आए हैं। लोको कारखाना में पूर्व में इस तरह के आईसोलेश वार्ड बनाकर भिजवाए गए थे। हमारी तरफ से पूरी तैयारी है। अगर आदेश मिलेंगे तो कार्य शुरु किया जाएगा।
आर. के. मूंदड़ा,मुख्य कारखाना प्रबंधक